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नायक त्रिभुवन नाथजी, श्री नेमिजिनसार, प्रभुपद प्रेमे पूजीए, गिरूओ गढ गिरनार (१) ए गिरि उपर एहना, तीन कल्याणक तास, अरिहंत भक्ति अनुसरो, आणी मन उल्लास (२) जादव कुल दिनकर जीस्यो, ब्रह्मचारी, शिरदार, सतीओ मांहे शिरोमणि, रूडी राजुलनार, (३) सहसावन संयम लीयो, गिरि उपर केवलज्ञान, कृपानाथ सरखी करी, भामीनीने भगवान (४) सातकूट सोहामणी, ए तीरथ अहिठाण, पंचम टुंके श्री प्रभु, पाम्यापद निर्वाण (५) गुणी अढारे गणधरा, गिरूआ बहु गुणवंत, सहस अढारे श्रमणने, सेवो भविजन संत (६) आठ भवोनी अंबिका ए तीरथ रखवाल, सेवो भविशुद्ध मने, जावे भवदुःख जाल (७) भविजन भावे भेटीए, आणी मन आणंद, हंस विजय — नमे हरखशु, पामे परमानंद (८)
गिरि गिरनार जई वसे, जेसे नेमकुमार कनक भूमी करी देवता, भक्ति करे मनोहार (१) एक प्रतिमा वज्रनी, एक कंचनकेरी, एक प्रतिमा रत्न मणिमय भलेरी (२) काले सज्जन बहुमिल्याए, जेणे कीधो उद्धार नेमनाथ बेठां तिहा, कंठे रयण मनोहार (३)
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