SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 61
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ करता है लेकिन गहराई से सोचें तो इसका मूल कारण हमारा अपना आत्मा ही है। प्रभु महावीर ने अपनी वाणी में भी यही कहा है कि- हे जीवात्मा! तूं स्वयं ही अपना मित्र भी है और शत्रु भी। मन तो केवल साधन मात्र है। जैसे सीढ़ियों को ही लीजिए, ना ये किसी को ऊपर ले जाती हैं और ना ही किसी को नीचे की ओर। हो सकता है आपके मन में तर्क उठे क्यूंकि मुझे पता है आप लोग बाल की खाल निकालने में हर समय तैयार रहते हैं, सीधी बात आपके दिमाग में घुसे या ना घुसे लेकिन उल्टी बात सुनते या पढ़ते ही आपकी खोपड़ी में उछल-कूद मच जाती है और इसीलिए कभी-कभी मुझे उल्टी ही बातों के माध्यम से अपने भाव आपके सामने लाने पड़ते हैं। तो हम बात कर रहे थे सीढियों की, कि - ना वे ऊपर ले जाती हैं और ना ही नीचे। लेकिन आप ये तर्क प्रस्तुत कर सकते हैं कि महाराज वो जमाना लद गया, अब तो सीढ़ियाँ ऊपर भी ले जाती हैं और नीचे भी। क्योंकि साईंस ने अब इलैक्ट्रसिटी से चलने वाली एटोमेटिक सीढ़ियों का आविष्कार कर लिया है। चलो हम आपकी ही बात मान लेते हैं लेकिन गहराई से सोचें तो सीढ़ियाँ मात्र सीढ़ियाँ ही हैं, वे केवल साधन ही हैं। क्यूंकि ऊपर या नीचे आखिर जाना तो हमारे ही हाथ की बात है ना ?
SR No.002495
Book TitleKaise Kare Is Man Ko Kabu
Original Sutra AuthorN/A
AuthorAmarmuni
PublisherGuru Amar Jain Prakashan Samiti
Publication Year
Total Pages72
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size8 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy