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________________ स्वामी रामतीर्थ के मन में बहुत बार वैराग्य के विचार हिलोरें मारते, मन में आता कि सब छोड़छाड़ के सन्यासी हो जाऊँ पर कुछ ना कुछ कारण बन जाता। एक दिन बाजार से घर को आ रहे थे, देखा-सामने एक नींबू बेचने वाला जा रहा है। नींबू बड़े स्वाद लगते थे उन्हें। फिर मोटे-मोटे रसीले कागजी नींबू ! देखकर एकदम मुँह में पानी भर आया। जेब से कुछ पैसे निकाले और चार नींबू खरीद लिए। ____ तेज कदमों से चलते हुए घर पहुंचे। मन में उतावलापन है कि - छीलूं और इनका रसपान करूं। पत्नी से कहा - जल्दी नमक, चाकू और प्लेट ला कर दे दे। पत्नी ने लाकर दे दिए और अपने काम में लग गई। इधर स्वामी रामतीर्थ ने फटाफट एक नींबू के चार टुकड़े किए, नमक लगाया, चूसने की तैयारी है, जबान ललचा रही है पर भीतर से आवाज आई - अरे ! तू सन्यासी बनना चाहता है ? अपनी जिह्वा का रस तो तेरे से जीता नहीं जा रहा फिर जीवन को कैसे जीत पाएगा? विचार आया- चल आज ये ही सही। देख – तू जीतता है या तेरा मन जीतता है ? बस उसी समय नींबू उठा के गली में दे मारे और चिल्लाने लगेजीत लिया-जीत लिया। पत्नी आई भागी हुई, कहने लगी- अरे ये आपने क्या शोर मचा रखा है ? किसे जीत 36)
SR No.002495
Book TitleKaise Kare Is Man Ko Kabu
Original Sutra AuthorN/A
AuthorAmarmuni
PublisherGuru Amar Jain Prakashan Samiti
Publication Year
Total Pages72
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size8 MB
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