________________
[555] षट्त्रिंश अध्ययन
सचित्र उत्तराध्ययन सूत्र न
- बावीसं सागराइं, उक्कोसेण ठिई भवे।
अच्चुयम्मि जहन्नेणं, सागरा इक्कवीसई॥२३३॥ अच्युत देवलोक के देवों की अधिकतम आयुस्थिति बाईस (२२) सागरोपम की और न्यूनतम आयुस्थिति इक्कीस सागरोपम की होती है॥ २३३ ॥
The maximum life-span of gods in Achyut kalp is twenty-two Sagaropam and the minimum is twenty-one Sagaropam. (233)
तेवीसं सागराइं, उक्कोसेण ठिई भवे।
पढमम्मि जहन्नेणं, बावीसं सागरोवमा॥२३४॥ प्रथम ग्रैवेयकवासी देवों की अधिकतम आयुस्थिति तेईस (२३) सागरोपम की और न्यूनतम आयुस्थिति बाईस सागरोपम की होती है॥ २३४॥
The maximum life-span of gods in first Graiveyak area is twenty-three Sagaropam and the minimum is twenty-two Sagaropam. (234)
__चउवीसं सागराइं, उक्कोसेण ठिई भवे।
बिइयम्मि जहन्नेणं, तेवीसं सागरोवमा॥२३५॥ द्वितीय ग्रैवेयकवासी देवों की अधिकतम आयुस्थिति चौबीस सागरोपम की और न्यूनतम आयुस्थिति तेईस (२३) सागरोपम की होती है॥ २३५ ॥
The maximum life-span of gods in second Graiveyak area is twenty-four Sagaropam and the minimum is twenty-three Sagaropam. (235)
पणवीसं सागराइं, उक्कोसेण ठिई भवे।
तइयम्मि जहन्नेणं, चउवीसं सागरोवमा॥२३६॥ तृतीय ग्रैवेयकवासी देवों की अधिकतम आयुस्थिति पच्चीस (२५) सागरोपम की और न्यूनतम आयुस्थिति चौबीस सागरोपम की होती है। २३६ ॥
The maximum life-span of gods in third Graiveyak area is twenty-five Sagaropam and the minimum is twenty-four Sagaropam. (236)
' छव्वीसं सागराइं, उक्कोसेण ठिई भवे।
चउत्थम्मि जहन्नेणं, सागरा पुणवीसई॥२३७॥ चौथे ग्रैवेयकवासी देवों की अधिकतम आयुस्थिति छब्बीस (२६) सागरोपम की और न्यूनतम आयुस्थिति पच्चीस सागरोपम की होती है॥ २३७॥
The maximum life-span of gods in fourth Graiveyak area is twenty-six Sagaropam and the minimum is twenty-five Sagaropam. (237)
सागरा सत्तवीसं तु, उक्कोसेण ठिई भवे।
पंचमम्मि जहन्नेणं, सागरा उ छवीसई॥२३८॥ पाँचवें ग्रैवेयकवासी देवों की उत्कृष्ट आयुस्थिति सत्ताईस (२७) सागरोपम की और जघन्य आयुस्थिति छब्बीस (२६) सागरोपम की होती है॥ २३८ ॥