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सचित्र उत्तराध्ययन सूत्र Lily
षट्त्रिंश अध्ययन [546]
एएसिं वण्णओ चेव, गंधओ रसफासओ।
संठाणादेसओ वावि, विहाणाई सहस्ससो॥१८७॥ इन स्थलचर पंचेन्द्रिय तिर्यंच जीवों के वर्ण, गन्ध, रस, स्पर्श और संस्थान की अपेक्षा हजारों प्रकार हो जाते हैं।॥ १८७॥
These five-sensed terrestrial animals are also of thousands of kinds with regard to colour, smell, taste, touch and constitution. (187) नभचर पंचेन्द्रिय त्रस जीव
चम्मे उ लोमपक्खी य, तइया समुग्गपक्खिया।
विययपक्खी य बोद्धव्वा, पक्खिणे य चउव्विहा॥१८८॥ नभचर-पक्षी तिर्यंच पंचेन्द्रिय जीव चार प्रकार के जानने चाहिये-(१) चर्म पक्षी (चमगादड़ आदि), (२) लोम पक्षी (रोम पक्षी) (हंस आदि), (३) समुद्ग पक्षी, और (४) वितत पक्षी ॥१८८॥ Five-sensed aerial animals ___Five-sensed aerial animals are of four kinds-(1)of membranous wings, like bat, (2) of feathered wings, like swan, (3) of box shaped wings, which are always closed, like Samudga bird (mythical bird), and (4) of outspread wings, like Vitata birds (mythical bird). (188)
लोगेगदेसे ते सव्वे, न सव्वत्थ वियाहिया।
इत्तो कालविभागं तु, वुच्छ तेसिं चउव्विहं॥१८९॥ ये नभचर (पक्षी) लोक के एक देश (अंश या भाग) में ही रहते हैं, समस्त लोक में नहीं रहते। इससे आगे मैं उन नभचर (आकाशचारी-खेचर) पक्षियों के कालविभाग का चार प्रकार से वर्णन करूँगा॥ १८९॥
All these five-sensed aerial animals exist only in a section of the universe (Lok) and not in the whole. Now I will describe fourfold division with regard to time of these fivesensed aerial animals. (189)
संतइं पप्पऽणाईया, अपज्जवसिया वि य।
ठिइं पडुच्च साईया, सपज्जवसिया वि य॥१९०॥ संतति-प्रवाह की अपेक्षा से नभचर पक्षी अनादि-अनन्त होते हैं और स्थिति की अपेक्षा से सादि-सान्त (आदि और अन्त सहित) भी होते हैं। १९०॥
In context of continuity these (aerial animals) are beginningless and endless. However in context of existence at a particular place they have a beginning as well as end. (190)
पलिओवमस्स भागो, असंखेज्जइमो भवे।
आउट्ठिई खहयराणं, अन्तोमुहुत्तं जहन्निया॥१९१॥ खेचर (नभचर) पक्षियों की उत्कृष्ट. आयुस्थिति पल्योपम के असंख्यातवें भाग की और जघन्य आयुस्थिति अन्तर्मुहूर्त की होती है॥ १९१ ॥