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[541] षट्त्रिंश अध्ययन
सचित्र उत्तराध्ययन सूत्र
चौथी पंकाभा या पंकप्रभा नरक पृथिवी के नैरयिकों-नारकी जीवों की उत्कृष्ट आयुस्थिति दस सागरोपम की और जघन्य आयुस्थिति सात सागरोपम की कही गई है॥ १६३ ॥
The maximum life-span of infernal beings in the fourth hell (Pankaabha prithvi) is said to be ten Sagaropam and minimum seven Sagaropam. (163)
सत्तरस सागरा ऊ, उक्कोसेण वियाहिया।
पंचमाए जहन्नेणं, दस चेव उ सागरोवमा॥१६४॥ पाँचवीं धूमाभा या धूमप्रभा नरक पृथिवी के नैरयिकों-नारकी जीवों की उत्कृष्ट आयुस्थिति सत्रह सागरोपम की और जघन्य आयुस्थिति दस सागरोपम की बताई गई है॥ १६४॥
The maximum life-span of infernal beings in the fifth hell (Dhoom-abha prithvi) is said to be seventeen Sagaropam and minimum ten Sagaropam. (164)
. बावीस सागरा ऊ, उक्कोसेण वियाहिया।
छट्ठीए जहन्नेणं, सत्तरस सागरोवमा॥१६५॥ छठी तमा या तम:प्रभा नरक पृथिवी के नैरयिकों-नारकी जीवों की उत्कृष्ट आयुस्थिति बाईस (२२) सागरोपम की और जघन्य आयुस्थिति सत्रह (१७) सागरोपम की कही गई है॥ १६५ ॥
The maximum life-span of infernal beings in the sixth hell (Tama prithvi) is said to be twenty-two Sagaropam and minimum seventeen Sagaropam. (165)
तेत्तीस सागरा ऊ, उक्कोसेण वियाहिया।
सत्तमाए जहन्नेणं, बावीसं सागरोवमा॥१६६ ॥ सातवीं तमतमा या तमस्तमा नरक पृथिवी के नैरयिकों-नारकी जीवों की उत्कृष्ट आयुस्थिति तेतीस (३३) सागरोपम की और जघन्य आयुस्थिति बाईस (२२) सागरोपम की कही गई है॥ १६६॥
The maximum life-span of infernal beings in the seventh hell (Tamastama prithvi) is said to be thirty-three Sagaropam and minimum twenty-two Sagaropam. (166)
जा चेव उ आउठिई, नेरइयाणं वियाहिया।
सा तेसिं कायठिर्ड. जहन्नक्कोसिया भवे॥१६७॥ नैरयिक-नारकी जीवों की जो (जघन्य और उत्कृष्ट) आयुस्थिति बताई गई है, वही उनकी जघन्य और उत्कृष्ट कायस्थिति होती है॥ १६७॥
The minimum and maximum life-span for the body-type for infernal beings is same as their life-span. (167)
अणन्तकालमुक्कोसं, अन्तोमुहुत्तं जहन्नयं।
विजढंमि सए काए, नेरइयाणं तु अन्तरं॥१६८॥ स्वकाय-नैरयिक शरीर के छोड़ने के बाद पुनः नैरयिक शरीर प्राप्त करने का अन्तराल-अन्तर उत्कृष्ट रूप से अनन्तकाल का और जघन्य रूप से अन्तर्मुहूर्त काल का होता है॥ १६८॥
The maximum intervening period between once leaving the body-type (infernal body), (taking rebirth in other body-types and moving in cycles of rebirth as other