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चित्र परिचय ६
22 परीषह
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Illustration No. 6
7. अरति परीषह - संयम के प्रति अरुचि उत्पन्न न करे ।
8. स्त्री परीषह - स्त्री परीषह आदि के समय मुनि आत्म-स्वरूप में लीन रहता हुआ उन्हें समतापूर्वक सहन करें।
9. चर्या परीषह - विहार की कठिनाइयों पर विजय प्राप्त कर साधु गृह-बन्धन से मुक्त हो परिभ्रमण करे।
10. निषद्या परीषह - अनिष्ट की आशंका से भयमुक्त साधु श्मशान, सूने घर, तरुमूल में अकेला ही समभावपूर्वक बैठे।
11. शय्या परीषह - शयन सम्बन्धी कठिनाइयों, जैसे-ऊँचा - नीचा स्थान, अच्छी-बुरी शय्या आदि मिलने पर साधु खेद न करे। समभावपूर्वक शयन करे।
12. आक्रोश परीषह - क्रोध का निमित्त मिलने पर भी क्रोध पर विजय पाये । कटु वचनों को भी समभावपूर्वक सहे ।
( 12 ) Insult related affliction.
- अध्ययन 2, सू. 14-25
22 AFFLICTIONS - 2
An ascetic should endure the following affliction with equanimity -
(7)
(8)
(9) Movement or wandering related affliction.
(10) Accommodation related affliction.
(11) Place of stay or accommodation related affliction.
Affliction related to disturbance in ascetic-discipline.
Affliction related to opposite sex.
- Chapter 2, Aphorism 14-25
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