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[521] षट्त्रिंश अध्ययन
सचित्र उत्तराध्ययन सूत्र
संसारस्थ (संसारी) जीवों की प्ररूपणा .... संसारत्था उ जे जीवा, दुविहा ते वियाहिया।
तसा य थावरा चेव, थावरा तिविहा तहिं॥६८॥ संसारस्थ (संसार में अवस्थित-संसारी) जीवों के दो भेद कहे गये हैं-(१) त्रस, और (२) स्थावर। इनमें से स्थावर जीवों के तीन भेद (प्रकार) हैं॥ ६८॥ Worldly beings
The mundane souls (living beings existing in the world) are said to be of two kinds(1) mobile, and (2) immobile. Of these, the immobile beings are of three types. (68) स्थावर जीव-प्ररूपणा
पुढवी आउजीवा य, तहेव य वणस्सई।
इच्चेए थावरा तिविहा, तेसिं भेए सुणेह मे॥६९॥ स्थावर जीव तीन प्रकार के हैं-(१) पृथ्वीकायिक, (२) जलकायिक, (३) वनस्पतिकायिक। अब इनके भेद (प्रकार) मुझसे सुनो॥ ६९॥ Immobile beings
___ Immobile beings are of three kinds-(1)earth-bodied, (2) water-bodied and (3) plantbodied: Now hear from me the sub-divisions of these. (69) पृथ्वीकाय की प्ररूपणा
'दुविहा पुढवीजीवा उ, सुहुमा बायरा तहा।
पज्जत्तमपज्जत्ता, एवमेए दुहा पुणो॥७०॥ पृथ्वीकायिक जीव दो प्रकार के हैं-(१) सूक्ष्म, और (२) बादर। इन दोनों प्रकार के दो-दो भेद हैं-(१) पर्याप्त, और (२) अपर्याप्त ॥ ७० ॥ Earth-bodied beings
Earth-bodied beings are of two kinds-(1) minute, and (2) gross. These two are also of two types each-(1) fully developed (paryaapt), and (2) under-developed (aparyaapt). (70)
बायरा जे उ पज्जत्ता, दुविहा ते वियाहिया।
सण्हा खरा य बोद्धव्वा, सण्हा सत्तविहा तहिं॥७१॥ बादर पर्याप्त पृथ्वीकायिक जीव दो प्रकार के कहे गये हैं-(१) श्लक्ष्ण-कोमल, और (२) खर-कठिन। इन दोनों में भी श्लक्ष्ण (मृदु अथवा कोमल) के सात भेद जानने चाहिये। ७१ ॥ ___ Fully developed gross earth-bodied living beings are said to be of two kinds-(1) smooth (soft), and (2) rough (hard). Among these soft are of seven types. (71)
किण्हा नीला य रुहिरा य, हालिद्दा सुक्किला तहा। पण्डु-पणगमट्टिया, खरा छत्तीसईविहा॥७२॥