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[517] षट्त्रिंश अध्ययन
सचित्र उत्तराध्ययन सूत्र
यह संक्षिप्त में अजीव विभक्ति की प्ररूपणा की गई है। अब यहाँ से क्रमशः जीवन-विभक्ति का कथन करूँगा॥ ४७॥
Thus the divisions of non-life with form have been briefly described. Now I will describe the divisions of soul in sequence. (47) जीव-प्ररूपणा
संसारत्था य सिद्धा य, दुविहा जीवा वियाहिया।
सिद्धाऽणेगविहा वुत्ता, तं मे कित्तयओ सुण॥४८॥ (१) संसारस्थ (संसारी), और (२) सिद्ध (संसार-मुक्त)-जीव दो प्रकार के बताये गये हैं। सिद्ध जीव अनेक प्रकार के कहे गये हैं, उनका मैं वर्णन करता हूँ, सुनो॥४८॥
Life (soul) ___The souls are said to be of two kinds-(1) worldly, and (2) liberated (Siddha of perfected). Liberated souls are said to be of many types. I now describe them; listen. (48) सिद्ध जीवों की प्ररूपणा
इत्थी पुरिससिद्धा य, तहेव य नपुंसगा।
सलिंगे अन्नलिंगे य, गिहिलिंगे तहेव य॥४९॥ स्त्री-पुरुष-नपुंसक, स्वलिंग, अन्यलिंग और गृहस्थलिंग से जीव सिद्ध होते हैं॥ ४९ ॥
Liberation is attained by different categories of people including (by gender-) women, men, hermaphrodite, (by faith-) own faith (Jain) other faith, and householders. (49)
___ उक्कोसोगाहणाए य, जहन्नमज्झिमाइ य।
__ उड्ढं अहे य तिरियं च, समुद्दम्मि जलम्मि य॥५०॥ उत्कृष्ट अवगाहना में, जघन्य और मध्यम अवगाहना में (सिद्ध होते हैं) तथा ऊर्ध्वलोक में, तिर्यक् लोक में, अधोलोक में और समुद्र तथा जल (नदी, जलाशय आदि) में जीव सिद्ध होते हैं।॥ ५० ॥
Liberation is attained by people of maximum, medium or minimum avagaahana (space-occupation or height) and from higher regions (heavens), transverse regions (including earth), lower regions (infernal worlds), oceans and other water bodies (rivers, lakes etc.). (50)
दसं चेव नपुंसेसु, वीसं इत्थियासु य।
पुरिसेसु य अट्ठसयं, समएणेगेण सिज्झई॥५१॥ एक समय में (अधिक से अधिक) नपुंसकों में से दस, स्त्रियों में से बीस और पुरुषों में से १०८ जीव सिद्ध हो सकते हैं॥५१॥
In one Samaya (a maximum of) ten individuals from hermaphrodites, twenty from women and one hundred eight from men can get liberated. (51)