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[509 ] षट्त्रिंश अध्ययन
सचित्र उत्तराध्ययन सूत्र
धर्मास्तिकाय तथा उस (धर्मास्तिकाय) के देश और उस (धर्मास्तिकाय) के प्रदेश कहे गये हैं तथा इसी प्रकार अधर्मास्तिकाय, उस (अधर्मास्तिकाय) का देश और उस (अधर्मास्तिकाय) का प्रदेश भी बताया गया है।॥ ५॥ Non-life without form
Dharmastikaya (motion entity), its divisions, its indivisible parts are mentioned. In the same way Adharmastikaya (rest entity), its divisions and its indivisible parts are also mentioned. (5)
आगासे तस्स देसे य, तप्पएसे य आहिए।
अद्धासमए चेव, अरूवी दसहा भवे॥६॥ आकाशास्तिकाय, उस (आकाशास्तिकाय) का देश और उस (आकाशास्तिकाय) का प्रदेश बताया गया है और अद्धासमय (काल)। इस तरह अरूपी अजीव दस प्रकार का है॥६॥
Likewise Akaashastikaya (space entity), its divisions and its indivisible parts are mentioned; also mentioned is Addha Samaya or Kaal (time entity). Thus formless nonsoul substances are of ten types. (6)
धम्माधम्मे य दोऽवेए, लोगमित्ता वियाहिया।
लोगालोगे य आगासे, समए समयखेत्तिए॥७॥ धर्मास्तिकाय और अधर्मास्तिकाय-ये दोनों ही लोकप्रमाण-सम्पूर्ण लोक में व्याप्त बताये गये हैं। आकाशास्तिकाय लोक और अलोक दोनों में व्याप्त है तथा समय (काल) समय-क्षेत्रिक-ढाई द्वीप प्रमाण मानव-क्षेत्र में है॥७॥
Both Dharmastikaya and Adharmastikaya are co-extensive only with the universe (Lok). But Akaashastikaya is co-extensive with the universe (Lok) as well as unoccupied space. And time exist only in the area of time (area where humans live; Adhai Dveep or two and a half continents). (7)
धम्माधम्मागासा, तिन्नि वि एए अणाइया।
अपज्जवसिया चेव, सव्वद्धं तु वियाहिया॥८॥ धर्मास्तिकाय, अधर्मास्तिकाय और आकाशास्तिकाय-ये तीनों ही द्रव्य अनादि, अपर्यवसित (अनन्त) तथा सर्वकाल स्थायी (नित्य) हैं॥८॥
Dharmastikaya, Adharmastikaya and Space (Akaash), all the three substances are beginningless, endless and eternal. (8)
समए वि सन्तई पप्प, एवमेवं वियाहिए।
आएसं पप्प साईए, सपज्जवसिए वि य॥९॥ समय (काल) भी संतति-प्रवाह की अपेक्षा से इसी प्रकार (अनादि, अनन्त, स्थायी-नित्य) कहा गया है किन्तु आदेश (प्रतिनियत) की अपेक्षा से वह आदि (आदिसहित) और अन्तसहित (सपज्जिए) भी होता है॥९॥