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सचित्र उत्तराध्ययन सूत्र
ती हुई गर्म भूमि, शिला, लू (गर्म वायु) के परिताप से, शरीर या तृषा के दाह से, ग्रीष्मकालीन सूर्य के प्रचण्ड ताप से पीड़ित होता हुआ श्रमण सात (शीत स्पर्श से प्राप्त सुख) के लिए आकुल-व्याकुल. न बने ॥ ८ ॥
द्वितीय अध्ययन [22]
मेधावी श्रमण अत्यधिक गर्मी के ताप से तप्त होने पर भी न तो स्नान की इच्छा करे और न ही शरीर को जल से सींचे-गीला करे और न पंखे आदि से हवा ही करे ॥ ९ ॥
4. Ushna-parishaha (Affliction of heat)
Tortured by scorched ground or rock, hot wind, parched body and throat and blazing summer sun, an ascetic should not get anxious and eager for relief (comfort of cool touch). (8)
An accomplished ascetic, though parched by excessive heat, should neither desire for a bath, nor wet his body with water, or even fan himself . ( 9 )
५. दंश - मशक परीषह
पुट्ठो य दंस-मसएहिं, समरेव महामुनी । नागो संगाम - सीसेवा, सूरो अभिहणे परं ॥ १० ॥ न संतसे न वारेज्जा, मणं पि न पओसए । उवे न हणे पाणे, भुंजन्ते मंस - सोणियं ॥ ११ ॥
डांस-मच्छरों (चींटी आदि क्षुद्र तथा सूक्ष्म जंतुओं) का उपद्रव होने पर भी महामुनि अपने समभाव में स्थिर रहे। जिस प्रकार रणक्षेत्र में गजराज बाणों की परवाह नहीं करता हुआ शत्रुओं का विध्वंस करता है, उसी प्रकार महामुनि परीषहों पर विजय प्राप्त करके राग-द्वेष, कषाय, कर्म आदि आन्तरिक शत्रुओं का हनन करे ॥ १० ॥
डांस-मच्छरों के परीषह पर विजय प्राप्त करने वाला मुनि उनके द्वारा दी जाने वाली पीड़ा से उद्विग्न न हो । न उन्हें हटाए, न उनके प्रति मन में द्वेष ही करे। यहाँ तक कि यदि वे उसका माँस काटें, रक्त पीवें तो भी उन्हें मारे नहीं, उनके प्रति उपेक्षाभाव रखे ॥ ११ ॥
5. Damsh-mashak-parishaha (Affliction of sting)
Even when afflicted by stings of mosquitoes (and other insects) a great ascetic should remain equanimous. As a bull elephant undisturbed by arrows in a battlefield continues to trample enemies, in the same way, undisturbed by afflictions, a great ascetic should relentlessly destroy inner foes like attachment, aversion, passions and karma. (10)
An ascetic practicing such endurance should not get agitated by the pain caused by them. He should neither push them off, nor resent them. Even if they bite his flesh and suck his blood, he should not kill them, only become indifferent toward them. (11)