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[493 ] चतुस्त्रिंश अध्ययन
सचित्र उत्तराध्ययन सूत्र in
(१०) गतिद्वार
किण्हा नीला काऊ, तिन्नि वि एयाओ अहम्मलेसाओ।
एयाहि तिहि वि जीवो, दुग्गइं उववज्जई बहुसो॥५६॥ कृष्ण, नील, कापोत-ये तीनों ही अधर्मलेश्याएँ हैं। इन तीनों के कारण जीव बहुत बार दुर्गति में भी उत्पन्न होता है। ५६ ॥ (10) Gati dvara (result)
Black, blue and grey-all three are ignoble or irreligious soul-complexions. On account of these, many times, a soul takes re-birth also in lower realms. (56)
तेऊ पम्हा सुक्का, तिन्नि वि एयाओ धम्मलेसाओ।
एयाहि तिहि वि जीवो, सुग्गइं उववज्जई बहुसो॥५७॥ तेजस्, पद्म, शुक्ल-ये तीनों ही धर्मलेश्याएँ हैं। इन तीनों के कारण जीव बहुत बार सुगति में भी उत्पन्न होता है॥ ५७॥
.. Red, yellow and white-all these three are noble or religious soul-complexions. On account of these, many times, a soul takes re-birth also in higher realms. (57) (११) आयुद्वार
लेसाहिं सव्वाहिं, पढमे समयम्मि परिणयाहिं तु।
न वि कस्सवि उववाओ, परे भवे अस्थि जीवस्स॥५८॥ ___प्रथम समय में परिणत हुई सभी लेश्याओं से किसी भी जीव की परभव (दूसरे जन्म) में उत्पत्ति नहीं होती॥ ५८॥ (11) Aayu dvara (life-span)
No soul takes rebirth due to any of these soul-complexions at the first Samaya of its manifestation (association with soul). (58)
लेसाहिं सव्वाहिं, चरमे समयम्मि परिणयाहिं तु।
न वि कस्सवि उववाओ, परे भवे अस्थि जीवस्स॥५९॥ चरम (अन्तिम) समय में परिणत हुई सभी लेश्याओं से भी किसी भी जीव की परभव (अगले जन्म) में उत्पत्ति नहीं होती ॥ ५९॥
No soul takes rebirth due to any of these soul-complexions at the last Samaya of its manifestation (association with soul). (59)
अन्तमुहुत्तम्मि गए, अन्तमुहुत्तम्मि सेसए चेव।
लेसाहिं परिणयाहिं, जीवा गच्छन्ति परलोयं ॥६०॥ लेश्याओं के परिणत होने से अन्तर्मुहूर्त व्यतीत हो जाने पर और अन्तर्मुहूर्त शेष रहने पर जीव परलोक (अगले जन्म) में जाते हैं। ६०॥