________________
95555555555555555555555555555555se
चित्र परिचय५
Illustration No. 5
0555555555555555555555555555555555555555555555555e
22 परीषह - 1 भगवान महावीर स्वामी ने साधु जीवन के 22 परीषह बताये हैं। साधु इन परीषहों को समभावपूर्वक सहे। जिसमें से प्रथम 6 परीषह पीछे चित्र में दिये गये हैं। 1. क्षुधा परीषह-क्षुधा आदि परीषह उत्पन्न होने पर मुनि समभावपूर्वक उसे सहन
करे। 2. तृषा परीषह-संयमी भिक्षु अत्यन्त प्यासा होने पर भी सचित्त जल का सेवन न करे।
तृषा समभावपूर्वक सहे। # 3. शीत परीषह-शीत से पीड़ित साधु उसे समभावपूर्वक सहन करे।
4. उष्ण परीषह-अत्यधिक गर्मी होने पर भी श्रमण व्याकुल न हो। 5. दंश-मशक परीषह-मच्छर-डांस का उपद्रव होने पर भी उन्हें न मारे। न मन में द्वेष
रखे। उनके द्वारा दी जाने वाली पीड़ा समभावपूर्वक सहे। 6. अचेल परीषह-जीर्ण वस्त्र होने पर भी वह दु:ख न करे।
-अध्ययन 2, सू. 2-13॥ 22 AFFLICTIONS-1 Bhagavan Mahavir has described twenty two afflictions of ascetic life. He 41 should bear these with even-mind. First six of these are given in the illustration. $
(1) Affliction of hunger-An ascetic should endure this affliction with 卐 equanimity.
Affliction of thirst-An ascetic should endure this affliction with equanimity. He should not drink contaminated water even when thirsty. Affliction of cold-An ascetic should endure affliction of cold with
equanimity. (4) Affliction of heat-An ascetic should not get disturbed even when it is too
hot. (5) Affliction of sting-An ascetic should endure this affliction with equanimity.
He should neither kill nor hate the insects even when they sting. Garb related affliction-An ascetic should not be sad if he has tattered garb.
-Chapter 2, Aphorism 2-13