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in सचित्र उत्तराध्ययन सूत्र
एकोनत्रिंश अध्ययन [392 ]
Maxim 55 (Q). Bhante! What does ajiva (soul/living being) attain by restraint of speech (vachan-gupti)?
(A). By restraint of speech a being attains the state of indifference (absence of thoughts). A being with this indifference restrains speech (observes silence) and gets engrossed in meditation, the means of spiritual pursuit.
सूत्र ५६-कायगुत्तयाए णं भन्ते ! जीवे किं जणयइ ? कायगुत्तयाए णं संवरं जणयइ। संवरेणं कायगुत्ते पुणो पावासवनिरोहं करेइ॥ सूत्र ५६-(प्रश्न) भगवन् ! कायगुप्ति से जीव क्या प्राप्त करता है? .
(उत्तर) कायगुप्ति से जीव आस्रवनिरोध रूप संवर को प्राप्त करता है। संवर के द्वारा कायगुप्त साधक फिर से होने वाले (पुणो) पापास्रव का निरोध कर देता है।
Maxim 56 (O). Bhante! What does a jiva (soul/living being) obtain by restraint of body (kaayagupti)?
(A). By restraint of body a being stops the inflow of karmas. Thereby the aspirant with restraint of body blocks further inflow of demerit-karmas.
सूत्र ५७-मणसमाहारणयाए णं भन्ते ! जीवे किंजणयइ ?
मणसमाहारणयाए णं एगग्गं जणयइ। एगग्गं जणइत्ता नाणपज्जवे जणयइ। नाणपज्जवे जणइत्ता सम्मत्तं विसोहेइ, मिच्छत्तं च निज्जरेइ॥
सूत्र ५७-(प्रश्न) भगवन् ! मन की समाधारणता से जीव को क्या प्राप्त होता है? ___ (उत्तर) मन:समाधारणता (मन को आगमोक्त विधि के अनुसार समाधि में अथवा आगमभावों के चिन्तन-मनन में संलग्न रखना) से जीव एकग्रता को प्राप्त करता है। एकाग्रता को प्राप्त करके ज्ञानपर्यवों- ज्ञान के विविध तत्त्वबोध प्रकारों को प्राप्त करता है। ज्ञानपर्यवों को प्राप्त करके सम्यक्त्व
को विशुद्ध करता है और मिथ्यात्व की निर्जरा करता है। ___Maxim 57 (Q). Bhante ! What does ajiva (soul/living being) obtain by discipline of mind (manah-samadharanata)?
(A). By discipline of mind (to keep the mind busy in meditation as prescribed in Agamas or in contemplation of Agamic concepts) a being attains concentration. Having attained concentration the being grasps various components of knowledge (different interpretations of fundamentals). With this knowledge he sublimates righteousness and sheds unrighteousness.
सूत्र ५८-वयसमाहारणयाए णं भन्ते ! जीवे किंजणयइ ?
वयसमाहारणयाए णं वयसाहारणदंसणपज्जवे विसोहेइ। वयसाहारणदसणपज्जवे विसोहेत्ता सुलहबोहियत्तं निव्वत्तेइ, दुल्लहबोहियत्तं निज्जरेइ॥
सूत्र ५८-(प्रश्न) भगवन् ! वचन (वाक्) समाधारणता से जीव को क्या प्राप्त होता है?
(उत्तर) वचन समाधारणता (वाणी को सम्यक् प्रकार से सतत स्वाधाय में लगाये रखना) से जीव वाणी के विषयभूत साधारण दर्शन (सम्यक्त्व) पर्यवों को विशुद्ध करता है। वाणी के विषयभूत