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सचित्र उत्तराध्ययन सूत्र
एकोनत्रिंश अध्ययन [ 380 ]
Maxim 21 (Q). Bhante ! What fruit does a jiva (soul / living being) obtain by questioning to remove doubts (pratiprachchhana)?
(A). By questioning to remove doubts a being corrects the text, the meaning and both. He then destroys the deluding karma responsible for desire (kanksha-mohaniya karma).
सूत्र २२ - परियट्टणाए णं भन्ते ! जीवे किं जणयइ ?
परियट्टाए णं वंजणाइं जणयइ, वंजणलद्धिं च उप्पाएइ ॥
सूत्र २२ – (प्रश्न) भगवन् ! परावर्तना (पठित पाठ का पुनरावर्तन) से जीव क्या प्राप्त करता
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है ?
(उत्तर) परावर्तना से जीव व्यंजन (शब्द पाठ) को प्राप्त कर व्यंजन लब्धि - पदानुसारिणी आदि लब्धि को प्राप्त कर लेता है।
Maxim 22 (Q). Bhante ! What does a jiva (soul / living being) obtain by repetition of learnt knowledge (paraavartana ) ?
(A). By repetition of learnt knowledge a being gains mastery over syllables (words and meanings) and gets endowed with related special powers (such as reciting full line by hearing just one word).
सूत्र २३ - अणुप्पेहा णं भन्ते ! जीवे किं जणयइ ?
अणुप्पेहाए णं आउयवज्जाओ सत्तकम्मप्पगडीओ घणियबन्धणबद्धाओ सिढिलबन्धणबद्धाओ पकरेइ । दीहकालट्ठिइयाओ हस्सकालट्ठिइयाओ पकरेइ । तिव्वाणुभावाओ मन्दाणुभावाओ पकरेइ। बहुपएसग्गाओ अप्पपएसग्गाओ पकरेइ । आउयं च णं कम्मं सिय बन्धइ, सिय नो बन्धइ। असायावेयणिज्जं च णं कम्मं नो भुज्जो भुज्जो उवचिणाइ । अणाइयं चणं अणवदग्गं दीहमद्धं चाउरन्तं संसारकन्तारं खिप्पामेव वीइवयइ ॥
सूत्र २३ - (प्रश्न) भगवन् ! अनुप्रेक्षा (सूत्र और उसके चिन्तन-मनन) से जीव को क्या प्राप्त होता है ?
(उत्तर) अनुप्रेक्षा से जीव आयु कर्म को छोड़कर (शेष) सात कर्म प्रकृतियों के प्रगाढ़ बन्धन को शिथिल बन्धन में परिणत कर देता है— शिथिल करता है। उनकी दीर्घकालीन स्थिति को अल्पकालीन कर देता है। तीव्र अनुभाव ( अनुभाग ) को मन्द अनुभाव कर देता है । बहुल- प्रदेशाग्रों को अल्प-प्रदेशाग्रों में परिणत करता है। आयु कर्म का कदाचित् बन्ध करता है, कदाचित् बन्ध नहीं भी करता है। असाता वेदनीय कर्म का बार-बार उपचय नहीं करता । अनादि अनन्त दीर्घ मार्ग वाले चतुर्गति रूप संसाररूपी वन को शीघ्र ही पार (वीयवयइ - व्यतिक्रम) कर लेता है।
Maxim 23 (Q). Bhante ! What does a jiva (soul / living being) obtain by pondering over learnt knowledge (anupreksha) ?
(A). By pondering over learnt knowledge a being turns the rigid bondage of seven karmas other than life-span determining karma, into loose bonds. He reduces their long duration to short duration, turns their intense potency to low and diminishes their sections