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[379 ] एकोनत्रिंश अध्ययन
सचित्र उत्तराध्ययन सूत्री
Maxim 18 (Q). Bhante! What does ajiva (soul/living being) obtain by forgiving and seeking forgiveness (kshaamana/kshamaapana)?
(A). By forgiving and seeking forgiveness a being gains mental happiness. The being endowed with mental happiness evokes feelings of friendship towards all beings (praan), organisms (bhoot), souls (jiva) and entities (sattva). With this feeling of universal fraternity he purifies his sentiments and gains freedom from fear.
सूत्र १९-सज्झाएणं भन्ते ! जीवे किं जणयइ ? सज्झाएणं नाणावरणिज्जं कम्म खवेइ॥ सूत्र १९-(प्रश्न) भगवन् ! स्वाध्याय से जीव को क्या (लाभ) प्राप्त होता है? (उत्तर) स्वाध्याय से जीव ज्ञानावरणीय कर्म का क्षय करता है।
Maxim 19 (Q). Bhante! What does a jiva (soul/living being) obtain by study of scriptures (swadhyaya)?
(A). By study of scriptures a being destroys the knowledge obscuring karma. सूत्र २०-वायणाए णं भन्ते ! जीवे किं जणयइ ?
वायणाए णं निज्जरं जणयइ। सुयस्स य अणासायणाए वट्टए। सुयस्स अणासायणाए वट्टमाणे तित्थधम्म अवलम्बइ। तित्थधम्म अवलम्बमाणे महानिज्जरे महापज्जवसाणे भवइ॥
सूत्र २०-(प्रश्न) भगवन् ! वाचना से जीव क्या प्राप्त करता है?
(उत्तर) वाचना से जीव कर्मों की निर्जरा करता है। श्रत के अनवर्तन (सतत पठन-पाठन) से श्रत की) अनाशातना में प्रवर्तमान जीव तीर्थधर्म का अवलंबन (आश्रय) लेता है। तीर्थधर्म का अवलंबन लेता हुआ साधक कर्मों की महानिर्जरा और महापर्यवसान (कर्मों का सर्वथा अन्त) करने वाला होता है।
Maxim 20 (Q). Bhante! What does a jiva (soul/living being) obtain by recitation of scriptures (vaachana)?
(A). By reciting (teaching) scriptures a being sheds karmas. By continued reading and teaching scriptures a being ensures avoiding desecrating scriptural knowledge and takes refuge with the ford-making religion. With the support of the ford-making religion he becomes thorough shedder and destroyer of karmas.
सूत्र २१-पडिपुच्छणयाए णं भन्ते ! जीवे किं जणयइ ? पडिपुच्छणयाए णं सुत्तऽत्थ तदुभयाइं विसोहेइ। कंखामोहणिज्यं कम्मं वोच्छिन्दह॥
सूत्र २१-(प्रश्न) भगवन् ! प्रतिप्रच्छना (पूर्व पठित शास्त्र के विषय में शंका निवारण के लिये प्रश्न करना) से जीव क्या प्राप्त करता है? ___ (उत्तर) प्रतिप्रच्छना से जीव सूत्र, अर्थ और तदुभय (दोनों के तात्पर्य) को विशुद्ध कर लेता है तथा कांक्षा-मोहनीय कर्म को विच्छिन्न कर देता है।