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[353] अष्टाविंश अध्ययन
सचित्र उत्तराध्ययन सूत्री
अठ्ठावीसइमं अज्झयणं : मोक्खमगगई अष्टाविंश अध्ययन : मोक्ष-मार्ग-गति Chapter-28 : ENDEAVOUR ON THE
PATH OF LIBERATION
मोक्खमंग्गगई तच्चं, सुणेह जिणभासियं।
चउकारणसंजुत्तं, नाण-दसणलक्खणं॥१॥ ज्ञान आदि चार कारणों से संयुक्त, ज्ञान-दर्शन लक्षण-स्वरूप, जिनभाषित तथ्यपरक यथार्थ सम्यक् मोक्ष-मार्ग की गति को सुनो॥१॥
Listen to the real, true and right endeavour on the path of liberation as told by the Jina and associated with four causes including knowledge, characterized by knowledge and perception/faith. (1)
नाणं च दंसणं चेव, चरित्तं च तवो तहा।
एस मग्गो त्ति पन्नत्तो, जिणेहिं वरदंसिहिं॥२॥ ज्ञान-दर्शन-चारित्र और तप (ये चारों मिलकर) मोक्ष-मार्ग हैं, ऐसा केवलज्ञानी-केवलदर्शी-सर्वज्ञ जिनेन्द्रदेवों ने बताया है॥ २॥
___ It is (the combination of these four) jnana (knowledge), darshan (perception/faith), chaaritra (conduct) and tap (austerities) that form the path of liberation. The Jinas endowed 'with ultimate knowledge, ultimate perception and omniscience have sad thus. (2)
नाणं च दंसणं चेव, चरित्तं च तवो तहा।
एयं मग्गमणुप्पत्ता, जीवा गच्छन्ति सोग्गइं॥३॥ ज्ञान-दर्शन तथा इसी प्रकार चारित्र और तप-इस कारण-चतुष्टय युक्त मोक्ष-मार्ग को प्राप्त करने वाले जीव सद्गति को जाते हैं-प्राप्त करते हैं॥ ३॥
The beings, who gain this path of liberation formed by this cause-quartet of knowledge-perception/faith-conduct-austerities, are sure to be blessed with noble end (rebirth). (3)
तत्थ पंचविहं नाणं, सुयं आभिणिबोहियं।
ओहीनाणं तइयं, मणनाणं च केवलं॥४॥ सम्यग्ज्ञान __उन चारों में ज्ञान के पाँच प्रकार है-(१) श्रुतज्ञान, (२) आभिनिबोधिक (मति) ज्ञान, (३) अवधिज्ञान, (४) मनःज्ञान (मनःपर्यवज्ञान), और (५) केवलज्ञान ॥ ४॥ Right knowledge
of these four, knowledge is of five kinds-1. Shruta-jnana (scriptural knowledge), 2. Aabhinibodhik or Mati-jnana (sensory knowledge or to know the apparent form of