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। सचित्र उत्तराध्ययन सूत्र
त्रयोविंश अध्ययन [302]
उग्गओ विमलो भाणू, सव्वलोगप्पभंकरो।
सो करिस्सइ उज्जोयं, सव्वलोगंमि पाणिणं॥७६॥ (गौतम-) सम्पूर्ण लोक को प्रकाशित करने वाला निर्मल सूर्य उदित हो चुका है। वह लोक के सभी प्राणियों के लिए प्रकाश करेगा ॥ ७६ ॥
(Gautam-) The veil-less sun with brilliance to illuminate the whole universe has dawned. It will spread light for the benefit of all beings. (76)
भाणू य इइ के वुत्ते ?, केसी गोयममब्बवी।'
केसिमेवं बुवंतं तु, गोयमो इणमब्बवी॥ ७७॥ (केशी-) वह सूर्य कौन-सा कहा जाता है? केशी ने गौतम से कहा। केशी के पूछने पर गौतम ने कहा- ॥ ७७॥
Keshi said to Gautam-What is said to be this sun? Hearing these words of Keshi, Gautam replied- (77)
उग्गओ खीणसंसारो, सव्वन्नू जिणभक्खरो।
सो करिस्सइ उज्जोयं, सव्वलोयंमि पाणिणं॥७८॥ (गौतम-) जिसका संसार क्षीण हो चुका है, जो सर्वज्ञ है, ऐसा जिन-भास्कर उदित हो चुका है। वह सम्पूर्ण लोक में प्राणियों के लिए प्रकाश करेगा॥ ७८ ॥
He whose cycles of rebirths have come to an end and who is omniscient, such sunlike Jina has been born. He will bring light for all the beings of the universe. (78)
साहु गोयम ! पन्ना ते, छिन्नो मे संसओ इमो।
.. अन्नो वि संसओ मज्झं, तं मे कहसु गोयमा !॥७९॥ (केशी-) गौतम! तुम्हारी प्रज्ञा श्रेष्ठ है। तुमने मेरा यह संशय भी दूर कर दिया। मेरा एक संशय और है। उसके सम्बन्ध में भी मुझे कहो-बतलाओ॥७९॥
(Kumar-shraman Keshi-) Gautam ! You are endowed with excellent wisdom. You have removed my doubt. I have another doubt. Gautam! Please tell me about that also. (79)
सारीर-माणसे दुक्खे, बज्झमाणाण पाणिणं।
खेमं सिवमणाबाह, ठाणं किं मन्नसी मुणी?॥८०॥ हे मुने! शारीरिक और मानसिक दुःखों से पीड़ित प्राणियों के लिए क्षेमंकर, शिवकर और बाधारहित स्थान तुम किसे मानते हो? ॥ ८० ॥
O sage! What place you believe is beneficial, beatific and trouble free for living beings tormented by physical and mental miseries? (80)