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चित्र परिचय २
Illustration No. 2
विनय का स्वरूप (1) विनीत शिष्य गुरु के संकेत एवं मनोभावों पर लक्ष्य रखता है, नम्रतापूर्वक बैठता
है और गुरु के समीप शास्त्र आदि का ज्ञान प्राप्त करता है। (2) विनीत शिष्य गुरु को आगम स्वाध्याय सुनाकर, शारीरिक परिचर्या करके, रुग्ण होने पर यथा समय पथ्य, औषधि आदि देकर उनकी सेवा करता है।
-अध्ययन 1, सू. 2
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DEFINING MODESTY (1) Humble disciple aims at the gestures and thoughts of the guru. Sits
humbly and acquires knowledge of holy texts from the teacher. (2) Humble disciple serves his teacher by reciting Agams, taking care of his physical needs and giving medicines, food, etc. when he is sick.
– Chapter 1, Aphorism 2
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