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चित्र परिचय ५२
Illustration No. 52
राजकुमार अरिष्टनेमि की करुणा
(1) विवाह मण्डप की ओर बढ़ते हुये राजकुमार अरिष्टनेमि ने बाड़े में बन्द पशु-पक्षियों की करुण चीत्कार सुनी तो हृदय द्रवित हो उठा। सारथि (महावत) से पूछने पर पता चला कि ये सब उसके विवाह - भोज के लिये बन्द हैं।
जाय ।
(2) अरिष्टनेमि का हृदय करुणा-विगलित हो गया। सारथि को अपने कुण्डल आदि पुरस्कार में देते हुये आज्ञा दी - समस्त पशु-पक्षियों को तत्काल मुक्त कर दिया
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-अध्ययन 22, सू. 14-20
COMPASSION OF PRINCE ARISHTANEMI
(1) While moving towards the wedding pavilion prince Arishtanemi heard the heart rending screams of encaged birds and animals, he was moved with compassion. On asking the mahout he came to know that all the innocent birds and animals were herded for his marriage feast.
( 2 ) Compassion melted Arishtanemi's heart. He awarded the mahout with his earrings and other ornaments and ordered him to release all the birds and animals.
-Chapter 22, Aphorism 14-20
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