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[273 ] द्वाविंश अध्ययन
सचित्र उत्तराध्ययन सूत्र in
बाइसमं अज्झयणं : रहनेमिज्जं द्वाविंश अध्ययन : रथनेमीय Chapter-22 : RATHANEMI
सोरियपुरंमि नयरे, आसि राया महिड्ढिए।
वसदेवे त्ति नामेणं, राय-लक्खण-संजए॥१॥ सोरियपुर में राज-चिन्हों से युक्त तथा महान् ऋद्धि से संपन्न वसुदेव नाम का राजा था॥ १॥
There was a king named Vasudeva in Soriyapur city, who was endowed with great fortunes and regal signs. (1)
तस्स भज्जा दुवे आसी, रोहिणी देवई तहा।
तासिं दोण्हं पि दो पुत्ता, इट्ठा य राम-केसवा॥२॥ उसकी दो पत्नियाँ थीं-रोहिणी और देवकी। उन दोनों के दो प्रिय पुत्र थे-राम (बलराम) और केशव (कृष्ण) ॥२॥
He had two queens-Rohini and Devaki. They had a loving son each-Rama (Balarama) and Keshav (Shrikrishna) respectively. (2)
सोरियपुरंमि नयरे, आसी राया महिड्ढिए।
समुद्दविजए नाम, राय-लक्खण-संजुए॥३॥ सोरियपुर नगर में ही राज-लक्षणों से संपन्न और महाऋद्धि से युक्त समद्रविजय नाम का राजा भी था॥३॥
In the same Soriyapur there was another king Samudravijaya, who was also endowed with great fortunes and regal signs. (3)
तस्स भज्जा सिवा नाम, तीसे पुत्तो महायसो।
भगवं अरिट्ठनेमि त्ति, लोगनाहे दमीसरे ॥४॥ उसकी शिवा नाम की रानी थी, उसका पुत्र महायशस्वी, जितेन्द्रियों में श्रेष्ठ, लोकनाथ, भगवान अरिष्टनेमि थे॥४॥
He had a queen named Shivaadevi and her son was Bhagavan Arishtanemi, the highly glorious, the supreme among victors of senses and the lord of the world. (4)
सोऽरिट्ठनेमि-नामो उ, लक्खणस्सर-संजुओ।
अट्ठ सहस्सलक्खणधरो, गोयमो कालगच्छवी॥५॥ वे अरिष्टनेमि शौर्य, गाम्भीर्य आदि गुणों (लक्षणों) और आदेय एवं आकर्षक स्वर (सुस्वर) से युक्त थे। उनके शरीर में एक हजार आठ शुभ लक्षण (शंख, चक्र आदि) थे। उनका गोत्र गौतम और शरीर श्यामवर्णी था॥५॥