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[263] एकविंश अध्ययन
सचित्र उत्तराध्ययन सूत्र
एगविंसइमं अज्झयणं : समुद्दपालीयं एकविंश अध्ययन : समुद्रपालीय
Chapter-21 : SAMUDRAPAAL
चम्पाए पालिए नाम, सावए आसि वाणिए । महावीरस्स भगवओ, सीसे सो उ महप्पणो ॥ १ ॥
चम्पानगरी का निवासी पालित व्यवसायी श्रावक था और वह महापुरुष भगवान महावीर का शिष्य (अनुयायी ) था ॥ १ ॥
Merchant Paalit, an inhabitant of Champa city, was a shravak (a Jain householder). He was a disciple of Bhagavan Mahavir. (1)
निग्गन्थे पावणे, सावए से विकोविए । पोएण ववहरन्ते, पिहुण्डं नगरमागए ॥ २ ॥
वह पालित श्रावक निर्ग्रन्थ प्रवचन में प्रवीण था। एक बार वह जलयान से व्यापार (समुद्री व्यापार) करता हुआ पिहुण्ड नगर में जा पहुँचा ॥ २ ॥
That Paalit shravak was well versed in ascetic doctrine. Once during his business voyage on a ship he reached Pihund city. (2)
पिहुण्डे ववहरन्तस्स, वाणिओ देइ धूयरं । तं ससत्तं पगिज्झ, सदेसमह पत्थिओ ॥ ३ ॥
पिण्ड नगर में जब वह व्यापार कर रहा था, उस समय किसी वणिक् ने अपनी पुत्री का विवाह, उसके साथ कर दिया। अपनी उस गर्भवती पत्नी को साथ लेकर पालित अपने देश को चल दिया ॥ ३ ॥
While he was doing business in Pihund city, some merchant married his daughter to him. Paalit left for his country with his pregnant wife. (3)
अह पालियस्स घरणी, समुद्दमि पसवई । अह दारए तहिं जाए, 'समुद्दपालि' त्ति नामए ॥ ४ ॥
सागर- यात्रा के दौरान पालित की पत्नी ने एक पुत्र को जन्म दिया। चूँकि शिशु का जन्म सागर बीच में हुआ था, इसलिए उस बालक का नाम समुद्रपाल रखा गया ॥ ४ ॥
During the sea voyage his wife gave birth to a son on board ship. As the child was born at sea (samudra) he was named Samudrapaal. ( 4 )
खेमेण आगए चम्पं, सावए वाणिए घरं । संवड्ढई घरे तस्स, दारए से सुहोइए ॥ ५ ॥