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तर सचित्र उत्तराध्ययन सूत्र
विंशति अध्ययन [252]
जैसे कोई क्रुद्ध शत्रु शरीर के मर्मस्थानों में परम तीक्ष्ण शस्त्र भौंक दे तब जैसी घोर पीड़ा होती है, वैसी तीव्र पीड़ा मेरी आँखों में हो रही थी॥ २० ॥
The pain in my eyes was as excruciating as that in delicate vital parts of the body pierced by an enemy with a sharp weapon. (20)
तियं मे अन्तरिच्छं च, उत्तमंगं च पीडई।
इन्दासणिसमा घोरा, वेयणा परमदारुणा॥२१॥ इन्द्र के वज्र प्रहार से जैसी मर्मान्तक पीड़ा होती है, वैसी ही परम दारुण वेदना मेरे त्रिक-कटि प्रदेश, अन्तरेच्छ-हृदय और उत्तमांग-मस्तक में हो रही थी॥ २१॥
Very sharp agonizing pain, like the severe pain caused by thunderbolt, had spread to my waist (trik pradesh), heart (antarechchha) and head (uttamanga). (21) .
उवट्ठिया मे आयरिया, विज्जा-मन्ततिगिच्छगा।
अबीया सत्थकुसला, मन्त-मूलविसारया॥२२॥ विद्या तथा मंत्रों से चिकित्सा करने वाले, मंत्र एवं जड़ी-बूटियों (मूल) द्वारा चिकित्सा में निपुण, शस्त्र (शल्य) चिकित्सा में अति कुशल, आयुर्वेद में निष्णात-सभी मेरा उपचार करने लगे॥ २२॥
Healers with special power of mantras, experts of herbal medicines with mantras, accomplished surgeons and proficient medical practitioners (ayurveda) started my treatment. (22)
ते मे तिगिन्छ कुव्वन्ति, चाउप्पायं जहाहियं ।
न य दुक्खा विमोयन्ति, एसा मज्झ अणाहया॥२३॥ उन्होंने मेरे रोग की उपशान्ति के लिए चतुष्पाद-चिकित्सा (वैद्य, रोगी, औषध और परिचारक) की; लेकिन वे मुझे पीड़ा से मुक्त न कर सके, यह मेरी अनाथता थी॥ २३॥
For pacifying my ailment they gave me four limbed treatment (physician, patient, medicine and nurses) but they could not give me relief from the pain. This was my state of being unprotected or an orphan. (23)
पिया मे सव्वसारं पि, दिज्जाहि मम कारणा।
न य दुक्खा विमोएइ, एसा मज्झ अणाहया॥२४॥ मेरे लिए मेरे पिता ने चिकित्सकों को अपनी सारभूत वस्तुएँ (धन, रत्न, मणि, माणिक्य आदि) दीं, फिर भी वे चिकित्सक मुझे वेदना-मुक्त न कर सके, यह मेरी अनाथता थी॥ २४ ॥
My father gave his valuable possessions (wealth, jewels, gems, gold etc.) to physicians for my cure; still those healers could not pacify my pains. That is how I was an orphan or without protection. (24)
माया य मे . महाराय !, पुत्तसोगदुहट्टिया। न य दुक्खा विमोएइ, एसा मज्झ अणाहया॥२५॥