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सचित्र उत्तराध्ययन सूत्र
सभी ओर से निराश हुए मुझे मुद्गरों, मुसुण्डियों, शूलों और मूसलों से चूर-चूर कर दिया गया। ऐसा भयंकर दुःख कष्ट मैंने अनन्त बार भोगा है ॥ ६२ ॥
Disappointed from all sides, I have been crushed to pieces by mallets, knives, spears and maces. I have suffered such horrifying torments infinite times. (62) तिक्खधारेहि, छुरियाहिं कप्पणीहि य।
खुरेहि
कप्पिओ फालिओ छिन्नो, उक्कत्तो य अणेगसो ॥ ६३ ॥
[235] एकोनविंश अध्ययन
अत्यन्त तीक्ष्ण धार वाले छुरों से, छुरियों से और कैंचियों - कतरनियों से मैं अनेक बार काटा गया हूँ, कपड़े की तरह फाड़ा गया हूँ, छेदा गया हूँ और मेरी चमड़ी उधेड़ी गयी है ॥ ६३ ॥
I have been slit, cut, mangled and skinned innumerable times by sharp edged daggers, knives, scissors and shears. (63)
पासेहिं कूडजालेहिं, मिओ वा अवसो अहं ।
वाहिओ बद्धरुद्धो अ, बहुसो चेव विवाइओ ॥ ६४ ॥
अवंश बने मुझे अनेक बार पाशों-बन्धनों, कूट जालों से मृग के समान पकड़ा गया, बाँधा गया, रोका गया और विनष्ट किया गया ॥ ६४॥
Like a helpless deer, I have been caught, tied, detained and destroyed in snares and hidden traps innumerable times. (64)
गलेहिं मगरजाहिं, मच्छो वा अवसो अहं । उल्लिओ फालिओ गहिओ, मारिओ य अणन्तसो ॥ ६५ ॥
मछली के गले में फँसाकर उसे पकड़ने वाले काँटों-गलों से, मगरों को पकड़ने वाले जालों से विवश हुए मुझे अनन्त बार पकड़ा गया, खींचा गया, फाड़ा गया और मारा गया ॥ ६५ ॥
With hooks for catching fish and bow nets for trapping crocodiles, I have been helplessly caught, dragged, torn and killed infinite times. ( 65 )
वीदंसहि जालेहिं,
हिं सउणो विव । गहिओ. लग्गो बद्धो य, मारिओ य अणन्तसो ॥ ६६ ॥
पक्षियों को डस जाने वाले भक्षण करने वाले बाज पक्षियों तथा चिपकाने वाले वज्र लेपों-जालों द्वारा मैं पक्षियों के समान अनंत बार पकड़ा गया, बाँधा गया, चिपकाया गया और मारा गया ॥ ६६ ॥ With the help of giant hawks, nets and bird - lime (adhesives), I have been caught, tied, stuck and killed infinite times like a bird. ( 66 )
कुहाड-फुरसुमाईहिं,
वड्ढईहिं
विव ।
दु
कुट्टिओ फालिओ छिन्नो, तच्छिओ य अणन्तसो ॥ ६७ ॥
जिस प्रकार बढ़ई वृक्ष को छीलते हैं उसी प्रकार मैं भी कुल्हाड़ी, फरसे आदि से अनन्त बार कूटा गया, चीरा गया, फाड़ा गया, छेदा गया और छीला गया हूँ ॥ ६७ ॥