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[223] एकोनविंश अध्ययन
सचित्र उत्तराध्ययन सूत्र
एगूणविंसइमं अज्झयणं : मियापुत्तिज्जं एकोनविंश अध्ययन : मृगापुत्रीय
Chapter-19 : MRIGAPUTRA ( Mriga's Son )
सुग्गीवे नयरे रम्मे, काणणुज्जाणसोहिए ।
राया बलभद्दे त्ति, मिया तस्सऽग्गमाहिसी ॥ १ ॥
वनों और उद्यानों से शोभायमान सुरम्य सुग्रीव नगर में बलभद्र नाम का राजा राज्य करता था । उसकी रानी का नाम मृगा था ॥ १ ॥
Adorned by gardens and parks, there was a pleasant city named Sugrivanagar where king Balabhadra ruled. The name of his queen was Mriga. (1)
सिं पुत्ते बलसिरी, मियापुत्ते त्ति विस्सुए । अम्मापिऊण दइए, जुवराया दमीसरे ॥ २ ॥
उनके बलश्री नाम का एक पुत्र था जो मृगापुत्र के नाम से विख्यात था। वह माता-पिता को अतिप्रिय था। वह युवराज तथा दमीश्वर (शत्रुओं का दमन करने वालों में प्रमुख ) था ॥ २ ॥
They had a son named Balashri, but he was popularly known as Mrigaputra (Mriga's son). He was beloved of his parents. He was the crown-prince and also the foremost . vanquisher of enemies. (2)
नन्दणे सो उपासाए, कीलए सह इत्थिहिं । देवो दोगुन्दगो चेव, निच्चं मुइयमाणसो ॥ ३ ॥
वह सदा दोगुन्दक देवों के समान प्रसन्नचित्त रहकर आनन्ददायक महल में निवास करता हुआ अपनी रमणियों के साथ क्रीड़ा में निमग्न रहता था ॥ ३ ॥
He lived happily like Dogundak gods (licentious gods) in a comfortable palace and was ever busy in playful enjoyments with his wives. (3)
मणिरयणकुट्टिमतले पासायालोयणट्ठिओ ।
आलोएइ नगरस्स, चउक्क-तिय- चच्चरे ॥ ४ ॥
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एक दिन मृगापुत्र मणि-रत्नों से जड़े फर्श वाले प्रासाद - महल के गवाक्ष में बैठा नगर के चौराहों, तिराहों और चौहट्टों पर होने वाले कुतूहलों को देख रहा था ॥ ४ ॥
One day, sitting in the balcony of his palace with gem studded floor, Mrigaputra was watching the exciting clamour on squares, crossings and trisections of the city. (4) अह तत्थ अइच्छन्तं, पासई समणसंजयं । तव - नियम- संजमधरं, सीलड्ढं गुणआगरं ॥ ५ ॥