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सचित्र उत्तराध्ययन सूत्र
अष्टादश अध्ययन [ 208
अवरसमं अज्झयणं : संजइज्जं अष्टादश अध्ययन :संजयीय Chapter-18: ASCETIC SANJAYA
कम्पिल्ले नयरे राया, उदिण्णबल-वाहणे।
नामेणं संजए नाम, मिगव्वं उवणिग्गए॥१॥ कांपिल्य नगर में बल-वाहन-सेना तथा रथादि से संपन्न संजय नाम का राजा राज्य करता था। एक बार वह मृगया-शिकार के लिए सेना आदि से सुसज्जित होकर निकला॥१॥
In Kampilya city ruled a king named Sanjaya, who possessed power, troops, chariots and the like. Once he went out of city for hunting with his troops. (1)
हयाणीए गयाणीए, रहाणीए तहेव य।
पायत्ताणीए महया, सव्वओ परिवारिए॥२॥ वह संजय राजा चारों ओर से गज-सेना, अश्व-सेना, रथ-सेना तथा पैदल सैनिकों से परिवृत्त था॥२॥
King Sanjaya was surrounded by battalions of elephants, horses, chariots and foot soldiers. (2)
मिए छुभित्ता हयगओ, कम्पिल्लुज्जाणकेसरे।
भीए सन्ते मिए तत्थ, वहेइ रसमुच्छिए॥३॥ सैनिकों द्वारा कांपिल्य नगर के केशर उद्यान की ओर हाँके गये, भयभीत, श्रान्त मृगों को वह अश्वारूढ़ संजय राजा, रस-लोलुप-माँस-लोलुप होकर मार रहा था॥ ३ ॥
Driven by soldiers into the Saffron garden of Kampilyapur, the frightened and tired deer were being killed by the king who was obsessed with taste of meat. (3)
अह केसरम्मि उज्जाणे, अणगारे तवोधणे।
सज्झाय-ज्झाणसंजुत्ते, धम्मज्झाणं झियायई॥४॥ उस समय केशर उद्यान में ध्यान में लीन रहने वाले एक तपस्वी अनगार धर्मध्यान का एकाग्रचित्त से चिन्तन कर रहे थे॥४॥
At that time a homeless ascetic was engrossed in deep meditation during his spiritual pursuits in the Saffron garden. (4)
अप्फोवमण्डवम्मि, झायई झवियासवे।
तस्सागए मिए पासं, वहेई से नराहिवे॥५॥ आम्रवों का क्षय करने वाले वे अनगार एक लता-मण्डप में ध्यान-लीन थे। उनके समीप आये हुये हरिणों को राजा संजय ने बाणों से मार डाला॥५॥