________________
सचित्र उत्तराध्ययन सूत्र
षोडश अध्ययन [190]
(उत्तर) आचार्य कहते हैं-संयम ग्रहण करने से पूर्व की हुई रति एवं क्रीड़ा का स्मरण करने से ब्रह्मचारी निर्ग्रन्थ को ब्रह्मचर्य में शंका, कांक्षा और विचिकित्सा उत्पन्न होती है अथवा ब्रह्मचर्य भंग हो जाता है या उन्माद उत्पन्न होता है अथवा दीर्घकालिक रोग व आतंक से ग्रसित हो जाता है, वह केवली प्ररूपित धर्म से भ्रष्ट हो जाता है।
अत: निर्ग्रन्थ पूर्व रति और क्रीड़ा का स्मरण भी न करे। Sixth condition of perfect celibacy
Maxim 8-He who does not recall the carnal indulgences and enjoyments experienced before getting initiated into the order, is an ascetic.
(Q.) Why is it so?
(Ans.) The preceptor explains-If a celibate ascetic recalls the carnal indulgences and enjoyments experienced before getting initiated into the order, then doubt and disrespect for celibacy as well as desire of sexual indulgence germinate in his mind or his vow of celibacy is breached. Also he is inflicted by mental disorder, prolonged ailments and terror. Ultimately he falls from the religious path shown and established the omniscient (Kevali).
Therefore an ascetic should not even recall the carnal indulgences and enjoyments experienced before getting initiated into the order.
सूत्र ९-नो पणीयं आहारं आहारित्ता हवइ, से निग्गन्थे। तं कहमिति चे?
आयरियाह-निग्गन्थस्स खलु पणीयं पाणभोयणं आहारेमाणस्स बम्भयारिस्स बम्भचेरे संका वा, कंखा वा, वितिगिच्छा वा समुप्पज्जिज्जा, भेयं वा लभेज्जा, उम्मायं वा पाउणिज्जा, दीहकालियं वा रोगायंकं हवेज्जा, केवलिपन्नत्ताओ वा धम्माओ भंसेज्जा। ____ तम्हा खलु नो निग्गन्थे पणीयं आहारं आहारेज्जा। सातवाँ ब्रह्मचर्य समाधि-स्थान
सूत्र ९-जो सरस, प्रणीत, पौष्टिक आहार नहीं करता; वह निर्ग्रन्थ है। (प्रश्न) ऐसा क्यों है?
(उत्तर) आचार्य ने कहा-सरस, पौष्टिक, प्रणीत आहार-पानी का सेवन करने वाले ब्रह्मचारी निर्ग्रन्थ के ब्रह्मचर्य के विषय में शंका, कांक्षा, विचिकित्सा समुत्पन्न होती है, ब्रह्मचर्य का नाश हो जाता है, उन्माद उत्पन्न होता है, अथवा दीर्घकालिक रोग व आतंक उत्पन्न हो जाता है, वह केवली भगवान द्वारा प्ररूपित किये गये धर्म से भ्रष्ट हो जाता है।
इसलिये निर्ग्रन्थ रसयुक्त पौष्टिक आहार न करे। Seventh condition of perfect celibacy
Maxim9-He who does not eat delicious, oil-rich and nourishing food is an ascetic. (Q.) Why is it so?