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चित्र परिचय ३९ |
| Illustration No. 39
रानी कमलावती द्वारा इषुकार राजा को उद्बोधन (1) राजा को समझाते हुये रानी बोली-राजन् ! इच्छाएँ आकाश के समान अनन्त हैं।
यदि तीन लोक का सम्पूर्ण वैभव मिल जाये तब भी इच्छाएँ कभी तृप्त नहीं हो
सकतीं। इस घर में मेरी स्थिति वैसी ही है जैसे पिंजरे में पक्षिणी की। मी (2) जिस गिद्ध के पास माँस का टुकड़ा होता है उस पर दूसरे पक्षी झपटते हैं। जिसके
पास माँस नहीं है उस पर कोई नहीं झपटता। संसार में कामभोग के लिये ही. छीना-झपटी होती है।
-अध्ययन 14, सू. 39-49
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QUEEN KAMALAVATI'S ADVISE TO KING ISHUKAR
(1) The queen said - Sire! Desires are limitless like the sky. Even if a
man gets all the wealth of the three worlds, his desires can never be
satisfied. I am in this place like a bird in a cage. (2) Other birds of prey pounce on a vulture having a piece of flesh.
Nothing attacks one that has no shred of meat. Only for the worldly pleasures and comforts there is quarrel and fight.
-Chapter 14, Aphorism 39-49
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