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चित्र परिचय ३७
Illustration No. 37
पिता-पुत्र संवाद (1) पिता ने दीक्षा की अभिलाषा रखने वाले अपने पुत्रों को ब्राह्मण का कर्त्तव्य बताते
हुये कहा- पहले वेद पढ़ो, ब्राह्मणो को भोजन कराओ, विवाह करो, फिर साधु
बनना। (2) पुत्रों ने उत्तर दिया-यह संसार क्रूर काल-चक्र के बीच में फंसा हुआ है। जरा और मृत्यु से घिरा हुआ है। ऐसे में जीवन का क्या भरोसा है ?
-अध्ययन 14, सू. 9-30
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THE DIALOGUE BETWEEN FATHER AND SON ) Expressing the duties of a Brahmin, the father said to the sons desirous
of ascetic-initiation - First of all study Vedas, feed Brahmins, get
married and only after that become sages. (2) The sons replied–This world is caught in the cruel cycle of time, is encircled by dotage and death. As such what is the surety of life?
-Chapter 14, Aphorism 9-30
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