________________
in सचित्र उत्तराध्ययन सूत्र
त्रयोदश अध्ययन [152]
तं पुव्वनेहेण कयाणुरागं, नराहिवं कामगुणेसु गिद्ध।
धम्मस्सिओ तस्स हियाणुपेही, चित्तो इमं वयणमुदाहरित्था-॥१५॥ (चित्र मुनि-) पूर्व-जन्मों के स्नेह के कारण कामभोगों में गृद्ध राजा को धर्म में स्थिर चित्र मुनि ने उस चक्रवर्ती के लिये हितकारी ये उद्गार व्यक्त किये- ॥ १५॥
(Chitra ascetic -) Due to his affection from earlier birth, the resolute Chitra ascetic expressed these feelings for the benefit of the king who was obsessed with mundane indulgences – (15)
सव्वं विलवियं गीयं, सव्वं नर्से विडम्बियं।
सव्वे आभरणा भारा, सव्वे कामा दुहावहा ॥१६॥ सभी गीत विलाप, सभी नाटक विडम्बना, सभी आभूषण भारभूत और सभी कामभोग दुःख देने वाले हैं॥ १६॥
All songs are but wailing, all plays are just frustrating, all ornaments are mere burdens, all mundane pleasures mere sources of misery. (16)
बालाभिरामेसु दुहावहेसु, न तं सुहं कामगुणेसु रायं !
विरत्तकामाण तवोधणाणं, जं भिक्खणं सीलगुणे रयाणं॥१७॥ हे राजन् ! अज्ञानियों को सुन्दर लगने वाले किन्तु यथार्थ में दुःख देने वाले कामभोगों में वह सुख नहीं है जो सुख कामभोगों से विरक्त, शील आदि गुणों में रत तपोधन भिक्षुओं को प्राप्त होता है॥ १७॥
O Overlord! Mundane pleasures, attractive to the ignorant but painful in reality, are not as blissful as the bliss experienced by the austere ascetics, apathetic to mundane pleasures and indulgent in virtues like righteousness. (17)
नरिंद! जाई अहमा नराणं, सोवागजाई दहओ गयाणं।
जहिं वयं सव्वजणस्स वेस्सा, वसीय सोवाग-निवेसणेसु॥१८॥ हे नरेन्द्र ! मनुष्यों में सबसे अधिक अधम समझी जाने वाली चाण्डाल जाति में उत्पन्न होकर हम सभी मानवों के घृणा-पात्र बने ॥ १८॥ .
O Ruler! Taking birth in Chandaal caste, considered to be the lowest in human society, we became objects of hatred of all people. (18)
तीसे य जाईइ उ पावियाए, वुच्छामु सोवागनिवेसणेसु।
सव्वस्स लोगस्स दुगंछणिज्जा, इहं तु कम्माई पुरेकडाइं॥१९॥ उस पापिष्ठ-निन्दनीय चाण्डाल जाति में उत्पन्न हुये हम चाण्डाल बस्ती में सभी के घृणा-पात्र बनकर रहते थे; किन्तु इस जन्म में हमें जो श्रेष्ठता प्राप्त है, वह पूर्व-जन्म में किये हुए शुभ कर्मों का फल है॥ १९॥
Born in that despicable Chandaal caste we lived in the helmets of Chandaals detested by all. However, the nobility we have got in this birth is the consequence of the good deeds we did during the earlier births. (19)