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| अनुक्रम
अध्ययन
विषय
गाथा-क्रम
पृष्ठ ।
१-४८ ४६-६६ ६७-११६
१-१५ १६-३२ ३३-३६ ४०-४५ ४६-५५
११७-१२६
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१. विनय श्रुत विनय का स्वरूप २. परीषह प्रविभक्ति प्राप्त कष्ट सहने की प्रेरणा ३. चतुरंगीय
चार दुर्लभ अंगों का प्रतिपादन ४. असंस्कृत प्रमाद और अप्रमाद का प्रतिपादन ५. अकाममरणीय अकाम और सकाममरण का विवेक ६. क्षुल्लक निर्ग्रन्थीय अविद्या से दुःख, विद्या से मुक्ति ७. उरभ्रीय
रस-गृद्धि का परित्याग ८. कापिलीय
लोभ-विजय का उपदेश नमिप्रव्रज्या
संयम में निष्कम्प : आत्म एकत्वभाव १०. द्रुमपत्रक जीवन-जागृति का सन्देश ११. बहुश्रुत पूजा . बहुश्रुत-पूजा : ज्ञान की महिमा १२. हरिकेशीय तप का अद्भुत ऐश्वर्य १३. चित्त-सम्भूतीय निदान-भोग संकल्प के कटु फल १४. इषुकारीय भोग विरक्ति : त्याग का कण्टक पथ १५. सभिक्षुक
भिक्षु के गुण १६. ब्रह्मचर्य समाधि-स्थान ब्रह्मचर्य की गुप्तियाँ १७. पाप श्रमणीय . पंचाचार में पाप वर्जन १८. संजयीय
हिंसा त्याग : अभय का मार्ग १६. मृगापुत्रीय देहाध्यास का परित्याग-मृगचर्या २०. महानिर्ग्रन्थीय सनाथ-अनाथ का विवेक २१. समुद्रपालीय कृत कर्म का फल २२. रथनेमीय संयम में स्थिरीकरण
१३०-१६१ १६२-१७८ १७६-२०८ २०९-२२८ २२६-२६० २६१-३२७ ३२८-३५६ ३६०-४०६ ४०७-४४१ ४४२-४६४ ४६५-५१० ५११-५२६ ५३०-५५० ५५१-६०४ ६०५-७०३ ७०४-७६३ ७६४-७८७ ७८८-८३६
६२-७४ ७५-८३ ८४-१६ १००-१०६ ११०-११६ १२०-१३६ १४०-१५६ १५७-१७२ १७३-१५१ १८२-१६७ १६८-२०५ २०६-२२० २२१-२४३ २४४-२६० २६१-२६८ २६६-२८४
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