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चित्र परिचय ३३
Illustration No. 33
क्षमाशील मुनि (1) मुनि-भक्त यक्ष ने क्रुद्ध होकर यज्ञ की सब सामग्री बिखेर दी। ब्राह्मण कुमारों की
दुर्दशा की। तब राजकुमारी ने ब्राह्मणों को समझाया-यह सब मुनि के अपमान
का दुष्फल है उनसे क्षमा माँगो। (2) भयभीत ब्राह्मणों ने मुनि से क्षमा माँगी और भिक्षा ग्रहण करने की प्रार्थना की। मुनि ने शान्त भाव से भिक्षा ग्रहण की।
-अध्ययन 12, सू. 24-30, 34
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THE FORGIVING ASCETIC
Fervent devotee of the ascetic, the Yaksha became angry and scattered all the material of the yajna offerings. He tortured the Brahmin youth. Then the princess explained the Brahmins - all this is the bitter
consequence of insulting the sage. Beg his pardon. (2) Fear stricken Brahmins begged forgiveness from the sage and requested to accept alms. The sage accepted alms serenely.
- Chapter 12, Aphorism 24-30, 34
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