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________________ प्रश्न है, वहाँ हमने समझ-बूझकर अपनी स्थानकवासी परम्परा को ही मान्यता दी है। क्योंकि आगम और इतिहास की भाँति परम्परा भी एक महत्वपूर्ण आधार होता है। अस्तु.............. | उत्तराध्ययनसूत्र के हिन्दी अनुवाद के साथ ही अंग्रेजी अनुवाद प्रस्तुत किया गया है। आज भारत के बाहर बसे हजारों जैन परिवार तथा हजारों अहिन्दी भाषी, जैनधर्म एवं आगमों का ज्ञान प्राप्त करना चाहते हैं। उनके लिए हिन्दी की अपेक्षा अंग्रेजी भाषा ही एक सक्षम माध्यम हो सकती है। अतः ग्रंथ की व्यापकता को दृष्टिगत रखकर हमने अंग्रेजी अनुवाद भी देना आवश्यक समझा है। हिन्दी-अंग्रेजी अनुवाद एवं टिप्पण लेखन में जिन-जिन विद्वानों तथा पुस्तक प्रकाशकों का सहयोग प्राप्त हुआ है, हम हृदय से उनके आभारी हैं, कृतज्ञ हैं। आधारभूत ग्रंथों की सूची भी साथ में दी जा रही है। इस सम्पादन एवं चित्रांकन में मुख्य सम्पादक प्रवर्तक श्री अमर मुनि जी म. सा. का सम्पादन-श्रम,,मार्गदर्शन तथा सतत प्रेरणा इस कार्य का मूल आधार है। यह उन्हीं की विशुद्ध बुद्धि एवं सतत श्रम का मधुर फल है। अत: उनके प्रति आभार ज्ञापन जैसी औपचारिकता अपेक्षित नहीं * चित्रकार सरदार पुरुषोत्तम सिंह तथा अंग्रेजी अनुवाद के लिए डॉ. बृजमोहन जैन का आभारी हूँ। साथ ही प्रकाशन में अर्थ-सहयोग देने वाले उदारमना सद्गृहस्थों के प्रति भी कृतज्ञ हूँ, जिन सब के सहयोग और सौजन्य से यह एक ऐतिहासिक दिव्य साहित्य-मणि पाठकों के कर-कमलों में * पहुँच रही है। प्रसन्नता........! Akolesolesaleolekesekesaksesolesaleolesolesale.ke.ke.soakelesslesslesale.ke.slesslessksokesolesale.ke.skcook.ke.sle.orld -श्रीचन्द सुराना 'सरस' (13) MARATISARAPARIYARANSISTSPNSPARPITHAPPYRIGHYPHYTEX
SR No.002494
Book TitleAgam 30 mool 03 Uttaradhyayana Sutra Sthanakvasi
Original Sutra AuthorN/A
AuthorAmarmuni
PublisherPadma Prakashan
Publication Year2011
Total Pages726
LanguageHindi, Prakrit, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari & agam_uttaradhyayan
File Size28 MB
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