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[99] नवम अध्ययन
सचित्र उत्तराध्ययन सूत्र
विशेष स्पष्टीकरण गाथा ७-साधारण मकान गृह होता है। सात या उससे अधिक मंजिलों का भवन प्रासाद कहलाता है। अथवा देवमन्दिर और राजभवन प्रासाद कहलाते हैं। (वृहद् वृत्ति)
गाथा ८-'हेतु'-साध्य के अभाव में जिसका अभाव निश्चित हो, उसे हेतु कहते हैं। उसका प्रयोग इस प्रकार है-जैसे कि इन्द्र कहता है-"तुम्हारा अभिनिष्क्रमण अनुचित है, क्योंकि तुम्हारे अभिनिष्क्रमण के कारण समूचे नगर में हृदयद्रावक कोलाहल हो रहा है।" पहला अंश प्रतिज्ञा वचन है, अतः वह पक्ष है। दूसरा वचन हेतु है, जो अभिनिष्क्रमण के अनौचित्य को सिद्ध करता है। ___ कारण-जिसके अभाव में कार्य की उत्पत्ति किसी भी प्रकार सम्भव न हो, अर्थात् जो नियत रूप से कार्य का पूर्ववर्ती हो, उसे कारण कहते हैं। जैसे धूम्र रूप कार्य का पूर्ववर्ती कारण अग्नि है। इस प्रसंग में इन्द्र ने जो कहा कि “(यदि) तुम अभिनिष्क्रमण नहीं करते, तो इतना हृदयद्रावक कोलाहल नहीं होता।" इसमें कोलाहल कार्य है, अभिनिष्क्रमण उसका कारण है। (सुखबोधावृत्ति)
- गाथा २४-मूल "पोसह' शब्द के श्वेताम्बर साहित्य में “पोषध" तथा "प्रोषध" दोनों संस्कृत रूपान्तर मिलते हैं। दिगम्बर साहित्य में इसे "प्रोषध" और बौद्ध साहित्य में "उपोसथ" कहते हैं। शान्त्याचार्य ने पोषध
की व्युत्पत्ति की है-"धर्म के पोष अर्थात् पुष्टि को धारण करने वाला व्रतविशेष-"पोष धर्मपुष्टि विधते।" (वृ. वृ.)
बौद्ध परम्परा में (अंगुत्तर निकाय, भा. १, पृ. २१२) के अनुसार प्रत्येक पक्ष की अष्टमी, चतुर्दशी और पंचदशी (पूर्णिमा और अमावस्या) को उपोसथ होता है। उपोसथ में प्राणियों की हिंसा, चोरी, मैथुन
और मृषावाद का त्याग होता है। रात्रि में भोजन नहीं किया जाता। दिन में भी विकाल में एक बार ही भोजन होता है। माला, ग्रन्थ आदि का उपयोग नहीं किया जाता है। KAAAAAAMIRICIATION IMPORTANT NOTES KEKRITHIKATTA
Verse 7-Ordinary building is called house. A building with seven or more storeys is called praasaad or mansion. Temples and palaces are also called praasaad. (Vrihad Vritti)
Verse 8 Hetu-That which becomes meaningless in absence of inference is called hetu (reason). For example, the king of gods says-"Your renunciation is not proper, because by that heart rending uproar is taking place.' The first portion of this sentence is a statement of proposition that is to be proved, so it is one side of the argument. The second sentence is the reason which proves the improperness of renunciation."
Kaaran-In absence of which there is no possibility of an action; in other words, that which essentially precedes an action is called Kaaran (cause). For example, fire is the preceding cause of smoke. In the present context-The king of gods says-"Had you not renounced, so much heart rending uproar would not have taken place." Here the uproar is the effect and renouncing is its cause. (Sukhabodha Vritti)
___Verse 24-Poshadh and proshadh, both these Sanskrit renderings of the Prakrit termposaham are found in Shwetambar texts. In Digambar literature only proshadh is found and in Buddhist literature it is uposatha. Shantyacarya has given the grammatical derivation of poshadh as-The vow, which enriches dharma (religious duty) is called poshadh. (posha dharmapushti vidhate) (V.V.)
According to Buddhist tradition (Anguttara Nikaya, Vol., I. p. 212) on eighth, tenth and fifteenth days of every fortnight of lunar month uposath is observed. In this violence towards living beings, falsity, stealing and sexual intercourse are renounced, also eating during the night is abandoned. Even during the day only one meal is taken at odd hours. Books, rosary and the like are also not used.