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सचित्र उत्तराध्ययन सूत्र
After the renunciation when sage Nami was getting initiated there was a lot of hue and cry all around Mithila city. (5)
नवम अध्ययन [ 88]
अब्भुट्ठियं रायरिसिं, पव्वज्जा-ठाणमुत्तमं । सक्को माहणरूवेण, इमं वयणमब्बवी - ॥६॥
उत्तम प्रव्रज्या स्थान ( साधु पद) के लिए उद्यत नमि राजर्षि के पास शक्रेन्द्र ब्राह्मण का रूप धारण करके आया और उसने नमि राजर्षि से इस प्रकार के वचन कहे - ॥ ६ ॥
Shakrendra (king of gods) in the guise of a Brahmin appeared before sage Nami when he was about to embrace the best type of initiation (ascetic status) and said to sage Nami as follows- (6)
'किण्णु भो! अज्ज मिहिलाए, कोलाहलग-संकुला । सुव्वन्ति दारुणा सद्दा, पासाएसु गिहेसु य ? ' ॥ ७ ॥
हे राजर्षि! आज मिथिला नगरी के महलों में, घरों में, कोलाहलपूर्ण हृदय विदारक शब्द क्यों सुनने में आ रहे हैं ? ॥ ७ ॥
Sage! Why the palaces and other houses in Mithila city resonate with heart rending _ululating noise ? (7)
एयमट्ठ निसामित्ता, हेऊकारण - चोइओ ।
तओ नमी रायरिसी, देविन्दं इणमब्बवी - ॥८॥
देवेन्द्र के इस प्रश्न को सुनकर तथा हेतु और कारण से प्रेरित होकर नमि राजर्षि ने इन्द्र से इस
प्रकार कहा- ॥ ८ ॥
Hearing the words of the king of gods and stirred by logic and reason sage Nami spoke thus to Indra- (8)
'मिहिलाए चेइए वच्छे, सीयच्छाए मणोरमे ।
पत्त- पुप्फ-फलोवेए, बहूणं बहुगुणे सया ॥ ९ ॥
मिथिला नगरी में शीतल छाया वाला, मनोरम पत्र - पुष्प - फलों से युक्त, बहुतों (बहुत पक्षियों) के लिए उपकरक एक चैत्य वृक्ष था ॥ ९ ॥
In the city of Mithila there was a sacred tree with cool shade, full of beautiful leaves-flowers-fruits and a shelter and support for many (birds). (9)
वाएण हीरमाणमि, चेइयमि
मणोरमे ।
दुहिया असरणा अत्ता, एए कन्दन्ति भो ! खगा ' ॥ १० ॥
प्रचण्ड वायु के वेग से वह मनोरम चैत्य वृक्ष उखड़ गया । हे विप्र ! उस वृक्ष के उखड़ जाने से दुःखी और अशरण ये पक्षी आक्रन्दन कर रहे हैं ॥ १० ॥
Now that pleasant sacred tree has been uprooted by stormy winds. O Brahmin! Grieved by the uprooting of that sacred tree these, now shelterless, birds are wailing. (10)