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[83 ] अष्टम अध्ययन
सचित्र उत्तराध्ययन सूत्र
नारीसु नोवगिज्झेज्जा, इत्थी विप्पजहे अणगारे।
धम्मं च पेसलं नच्चा, तत्थ ठवेज्ज भिक्खू अप्पाणं॥१९॥ स्त्रियों (स्त्री संसर्ग) का त्याग करने वाला गृहत्यागी भिक्षु उनमें गृद्ध न हो और साधुधर्म को ही इस लोक तथा परलोक में कल्याणकारी समझकर उसमें स्वयं अपनी आत्मा को स्थिर करे ॥१९॥
The homeless ascetic, who has also renounced (contact with) women, should not get fond of them. Believing ascetic-code to be the lone source of beatitude in this life and the next, the ascetic should focus his soul only on that (ascetic-code). (19)
इइ एस धम्मे अक्खाए, कविलेणं च विसुद्धपन्नेणं। - तरिहिन्ति जे उ काहिन्ति, तेहिं आराहिया दुवे लोग॥२०॥
-त्ति बेमि। विशुद्ध प्रज्ञा के धारक कपिल मुनि ने यही धर्म कहा। इस धर्म का आचरण करने वाले संसार-सागर को पार करेंगे, उनके दोनों लोक सफल हो जायेंगे॥ २०॥
-ऐसा मैं कहता हूँ। Sage Kapil, endowed with pristine wisdom, has propagated this religion only. Those who follow this code are sure to cross the ocean of cycles of rebirth and both their lives (this and the next) will be fruitful. (20)
-So I say.
MERE विशेष स्पष्टीकरण
गाथा १५-स्थानांगसूत्र में बोधि के तीन प्रकार बताये हैं(1) ज्ञानबोधि, (2) दर्शनबोधि, और (3) चारित्रबोधि।
IMPORTANT NOTES
Verse-15-In Sthananga Sutra three types of enlightenment is mentioned1. Knowledge-enlightenment, 2. Faith-enlightenment, and 3. Conduct-enlightenment.