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चित्र परिचय १८
मूलधन - मनुष्य गति
Illustration No. 18
(1) मूलधन के समान मनुष्यगति है। लाभ के समान देवगति है। मूलधन की हानि के समान जीव की नरक एवं तिर्यंचगति है ।
(2) मनुष्य-भव के कामभोग सूखे घास पर गिरी ओस बिन्दु के समान क्षणिक एवं तुच्छ हैं, जबकि देवताओं के दिव्य-सुख समुद्र के समान विशाल हैं ।
- अध्ययन 7, सू. 16
HUMAN EXISTENCE: THE CAPITAL
(1) Human existence is like capital investment. Divine existence is like profit. The loss of capital is like infernal and animal existences. (2) The pleasures and comforts of human existence are worthless and transient like a dew-drop on dry grass; while the divine pleasures of gods are extensive like ocean.
- Chapter 7, Aphorism 16
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