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चित्र परिचय १४
दुर्गति - सुगति
Illustration No. 14
(1) पापकर्मा मनुष्य आयुष्य क्षीण होने पर नरक में उत्पन्न होता है।
(2) जैसे समतल मार्ग को जानता हुआ भी गाड़ी वाला ऊबड़-खाबड़ विषम मार्ग पर जाते हुये गाड़ी की धुरी टूट जाने पर शोक - परिताप करता है।
(3) संयम आराधना करने वाले सुव्रती की दो गतियाँ हैं - वह कर्मक्षय कर मोक्ष में. चला जाता है अथवा देवलोक में उत्पन्न होता है ।
(4) सामायिक, पौषध आदि धर्म की आराधना करने वाला सद्गृहस्थ आयुष्य पूर्ण होने
पर देवलोक में जाता है ।
- अध्ययन 5, सू. 13-14, 25-28
BAD REBIRTH AND GOOD REBIRTH
(1) A man indulging in sinful deeds is reborn into hell at the end of his human life-span
(2) Even when aware of an even path if a cart driver takes his cart on uneven path, he ends up in grief when the axle is broken.
(3) There are two possible rebirths for an austere person practicing ascetic discipline - either he destroys all karmas and attains liberation or is reborn as a divine being.
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(4) A virtuous householder observing religious rituals including Samayik, Pausadh etc., takes birth as a divine being at the end of his human life-span.
- Chapter 5, Aphorism 13-14, 25-28
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