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र सचित्र उत्तराध्ययन सूत्र
पंचम अध्ययन [48]
पंचमं अज्झयणं : अकाम मरणिज्ज पंचम अध्ययन : अकाममरणीय
Chapter-5 : NAIVE DEATH
अण्णवंसि महोहंसि, एगे तिण्णे दुरुत्तरे।
तत्थ एगे महापन्ने, इमं पट्ठमुदाहरे॥१॥ यह संसार महाप्रवाहयुक्त एक सागर है। इसे तैरकर पार करना बहुत ही कठिन कार्य है। फिर भी कछ लोग इसे पार कर गये हैं। उनमें से एक महाप्रज्ञ श्रमण भगवान महावीर भी हैं। उन्होंने ऐसी प्ररूपणा की है॥१॥
This world is like an ocean with intense flow. To swim it across is a very difficult task. Even then some individuals have crossed it. One of them is Shraman Bhagavan Mahavir, the epitome of ultimate enlightenment. He has propagated thus. (1)
सन्तिमे य दुवे ठाणा, अक्खाया मारणन्तिया।
अकाममरणं चेव, सकाममरणं तहा॥२॥ मरण के दो स्थान (भेद या रूप) बताये हैं-(१) अकाममरण, और (२) सकाममरण ॥ २ ॥
There are two kinds of death-1. Naive death (akaam maran), and 2. Prudent death (sakaam maran). (2)
बालाणं अकामं तु, मरणं असई भवे।
पण्डियाणं सकामं तु, उक्कोसेण सई भवे॥३॥ बाल अथवा सद्सद्विवेक-विकल अज्ञानी जीवों का अकाम (अनिच्छापूर्वक) मरण बार-बार होता है किन्तु पंडितों (ज्ञानी-चारित्रवानों) का सकाम (इच्छापूर्वक) मरण उत्कृष्ट रूप से एक बार होता है॥ ३॥
Ignorant or those incapable of discerning right from wrong succumb to Naive death again and again; but the pundits (having right knowledge and conduct) embrace the commendable prudent death only once. (3)
तत्थिमं पढमं ठाणं, महावीरेण देसियं।
काम-गिद्धे जहा बाले, भिसं कूराइं कुव्वई॥४॥ अकाममरण के विषय में भगवान महावीर ने बताया है कि कामभोगों में आसक्त अज्ञानी जीव । घोर क्रूरकर्म करता है॥ ४॥ ____ About the first one (Naive death) Bhagavan Mahavir has said that an ignorant, infatuated with carnal pleasures, indulges in extremely severe cruel deeds. (4)