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________________ 89555555555555555555555555555555555) म परियारो जहा मोउद्देसए (स. ३ उ. १)। लोगपालाणं सव्वेसिं रायहाणीओ सीहासणाणिक 9 य सरिसनामगाणि, परियारो जहा चमरस्सलोगपालाणं। १६. जो दक्षिण दिशावर्ती इन्द्र हैं उनका कथन धरणेन्द्र के समान तथा उनके लोकपालों में 卐 का कथन धरणेन्द्र के लोकपालों के समान है। उत्तर दिशावर्ती इन्द्रों का कथन भूतानन्द के समान तथा उनके लोकपालों का कथन भी भूतानन्द के लोकपालों के समान है। विशेष इतना है कि सब इन्द्रों की राजधानियों और उनके सिंहासनों का नाम इन्द्र के नाम के समान है। उनके परिवार का वर्णन भगवती सूत्र के तीसरे शतक के प्रथम उद्देशक में कहे अनुसार है। सभी लोकपालों की राजधानियों और म उनके सिंहासनों का नाम लोकपालों के नाम के सदृश तथा उनके परिवार का वर्णन चमरेन्द्र 4 के लोकपालों के परिवार के वर्णन के समान जानना चाहिए। 16. The description of Indras (kings of gods) in the south and their 4 lokapaals is like Dharanendra and his lokapaals. The description of si Indras in the north and their lokapaals is like Bhootanand and his lokapaals. The difference being that the names of the throne and capital city of each Indra resemble the name of the particular Indra. Their families follow the description mentioned in lesson one of the third chapter. The names of the throne and capital city of each lokapaal resemble the name of the particular lokapaal. The description of their families resembles that of the lokapaals of Chamarendra. व्यन्तर देवेन्द्रों के देवी-परिवार GODDESSES OF KINGS OF VYANTAR GODS १७. [प्र.] कालस्स णं भंते ! पिसायिंदस्स पिसायरण्णो कइ अग्गमहिसीओ पन्नत्ताओ? [उ.] अज्जो ! चत्तारि अग्गमहिसीओ पन्नत्ताओ, तं जहा-कमला १, कपलप्पभा २, ॐ उप्पला ३, सुदंसणा ४। तत्थ णं एगमेगाए देवीए एगमेगं देविसहस्सं, सेसं जहा है चमरलोगपालाणं। परियारो तहेव, नवरं कालाए रायहाणीए कालंसि सीहासणंसि. सेसं 卐 तं चेव। एवं महाकालस्स वि। १७. [प्र.] भगवन् ! पिशाचेन्द्र पिशाचराज काल की कितनी अग्रमहिषियाँ है? [उ.] आर्यो! (कालेन्द्र की) चार अग्रमहिषियाँ हैं। यथा-(१) कमला, (२) कमलप्रभा, म (३) उत्पला और (४) सुदर्शना। इनमें से प्रत्येक देवी (अग्रमहिषी) के एक-एक हजार देवियों का परिवार है। शेष समग्र वर्णन चमरेन्द्र के लोकपालों के समान है एवं परिवार का के कथन भी उसी के परिवार के सदृश है। विशेष इतना है कि इसके 'काला' नाम की राजधानी भगवती सूत्र (४) Bhagavati Sutra (4) (54) 5 555 &95555555555
SR No.002493
Book TitleAgam 05 Ang 05 Bhagvati Vyakhya Prajnapati Sutra Part 04 Sthanakvasi
Original Sutra AuthorN/A
AuthorAmarmuni
PublisherPadma Prakashan
Publication Year2013
Total Pages618
LanguageHindi, Prakrit, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari & agam_bhagwati
File Size22 MB
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