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________________ &5555555555555555555555555555555555555 [उ.] गौतम ! १. द्विप्रदेशी स्कन्ध कथंचित् सद्प है, २. कथंचित् असद्प है, ३. सद्- म असद्रूप होने से कथंचित् अवक्तव्य है, ४. कथंचित् सद्प है और कथंचित् असद्प है, की ५. कथंचित् सद्प है और सद्-असद्-उभयरूप होने से अवक्तव्य है और ६. कथंचित् असद्रूप है और सद्-असद्-उभयरूप होने से अवक्तव्य है। 28-1. [Q.) Bhante ! Is a bisectional aggregate (dvipradeshi skandh) ॐ self-morphic (atma-roop or existent) or non-self-morphic (anya or non+ existent) ? ____[Ans.] Gautam ! (1) a bisectional aggregate (dvipradeshi skandh) is perhaps self-morphic (atma-roop or existent), (2) perhaps non-self-morphic 41 (anya or non-existent), (3) perhaps inexpressible - being both, (4) perhaps existent and perhaps non-existent, (5) perhaps existent and perhaps 卐 inexpressible, and (6) perhaps non-existent and perhaps inexpressible. २८-२. [प्र.] से केणटेणं भंते ! एवं. तं चेव जाव नो आया य, अवत्तव्वं-आया इ जय नो आया इ य? _ [उ.] गोयमा! अप्पणो आइडे आया १; परस्स आइडे नो आया २; तदुभयस्स म आइढे अवत्तव्-दुपएसिए खंधे आया इ य, नो आया इ य ३; देसे आइटे सब्भावपज्जवे, 卐 देसे आइढे असब्भावपज्जवे दुपएसिए खंधे आया य नो आया य ४; देसे आइडे सब्भावपज्जवे, देसे आइटे तदुभयपज्जवे दुपएसिए खंधे आया य, अवत्तव्वं-आया इ य है नो आया इ य ५; देसे आइटे असब्भावपज्जवे, देसे आइटे तदुभयपज्जवे दुपएसिए खंधे 卐 नो आया य, अवत्तव्वं-आया इ य नो आया इ य ६। से तेणद्वेणं तं चेव जाव नो आया इय। २८-२: [प्र.] भगवन्! क्या कारण है कि ऐसा (द्विप्रदेशी स्कन्ध कथंचित् सद्प है, इत्यादि।) यावत् कथंचित् असद्प है और सद्-असद्-उभयरूप होने से अवक्तव्य है? [उ.] गौतम! द्विप्रदेशी स्कन्ध १. अपने स्वरूप की अपेक्षा से कथन किये जाने पर 卐 सद्प है, २. पर-स्वरूप की अपेक्षा से कथन किए जाने पर असद्प है और ३. उभयरूप की अपेक्षा से अवक्तव्य है तथा ४. सद्भाव पर्याय वाले अपने एक देश की अपेक्षा से व्यपदिष्ट म होने पर द्विप्रदेशी स्कन्ध सद्प है तथा असद्भाव पर्याय वाले एक देश की अपेक्षा से आदिष्ट में होने पर, असद्प है। (इस दृष्टि से द्विप्रदेशी स्कंध कथंचित् सद्प और कथंचित् असद्रूप है।) ५. सद्भाव पर्याय वाले एक देश की अपेक्षा से आदिष्ट होने पर सद्प और सद्भाव बारहवाँशतक : दशम उद्देशक (435) Twelfth Shatak : Tenth Lesson
SR No.002493
Book TitleAgam 05 Ang 05 Bhagvati Vyakhya Prajnapati Sutra Part 04 Sthanakvasi
Original Sutra AuthorN/A
AuthorAmarmuni
PublisherPadma Prakashan
Publication Year2013
Total Pages618
LanguageHindi, Prakrit, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari & agam_bhagwati
File Size22 MB
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