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区卐卐55555555555555555555555555555555555 [Ans.] Gautam! That (intervening-period for Dharmadevs) is a
minimum of Palyopam-prithaktva (two to nine Palyopam) and maximum
of Deshon Ardha-pudgal paravartya kaal (extremely long unit of time). ३०. [ प्र. ] देवाहिदेवाणं पुच्छा ।
[ उ. ] गोयमा ! नत्थि अंतरं ।
0 5 5 5 5 5 5 95 95 95 95 1994 1995 1995 5 95 95 9 5 5 5 5 95 95 95 95 95 95 95 95 95 95 9.5 95 95 95 95 95 95 95 95 95 95 95 95 95 95 95 95 95 958
३०. [प्र.] भगवन्! देवाधिदेवों का अन्तर कितने काल का होता है ?
[उ.] गौतम! देवाधिदेवों का अन्तर नहीं होता ।
30. [Q.] Bhante ! Same question about Devadhidevs (What is the Antar-kaal or intervening-period for Devadhidevs?
[Ans.] Gautam ! There is no intervening-period for Devadhidevs.
३१. [ प्र. ] भावदेवस्स णं. पुच्छा ।
[3.] गोयमा ! जहन्नेणं अंतोमुहूत्तं, उक्कोसेणं अनंतं कालं वणस्सइकालो ।
३१. [प्र.] भगवन्! भावदेव का अन्तर कितने काल का होता है ?
[3.] गौतम! (भावदेव का अन्तर ) जघन्य अन्तर्मुहूर्त्त और उत्कृष्ट अनन्तकाल - वनस्पतिकाल पर्यन्त अन्तर होता है ।
31. [Q.] Bhante ! Same question about Bhaavadevs (What is the Antarkaal or intervening-period for Bhaavadevs?
[Ans.] Gautam! That (intervening-period for Bhaavade vs) is a minimum of one Antarmuhurt and maximum of infinite time (Vanaspatikaal).
विवेचनं - यहाँ पंचविध देवों के अन्तर से आशय यह है कि एक देव को अपना एक
भव पूर्ण करके पुन: उसी भव में उत्पन्न होने में जितने काल का जघन्य या उत्कृष्ट अन्तर ( व्यवधान) होता है, वह अन्तर कहलाता है।
भव्य - द्रव्यदेव के जघन्य एवं उत्कृष्ट अन्तर - कोई भव्य - द्रव्यदेव दस हजार वर्ष की स्थिति वाले, व्यन्तरादि देवों में उत्पन्न हुआ, और वहाँ से अपनी आयु पूर्ण कर शुभ पृथ्वीकायादि में चला गया। वहाँ अन्तर्मुहूर्त्त तक रहा, फिर तुरंत भव्य - द्रव्यदेव में उत्पन्न हो गया तो इस दृष्टि से भव्य - द्रव्यदेव का अन्तर अन्तर्मुहूर्त्त अधिक दस हजार वर्ष का होता है। अपर्याप्त जीव देवगति में उत्पन्न नहीं हो सकता अतः पर्याप्त होने के बाद ही उसे भव्य द्रव्यदेव मानना चाहिए। ऐसा मानने से जघन्य अन्तर अन्तर्मुहूर्त्त अधिक दस हजार वर्ष का होता है।
बारहवाँ शतक : नौवाँ उद्देशक
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Twelfth Shatak: Ninth Lesson
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