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________________ 895555555555555555555555555558 [Ans.] Gautam ! (Immediately after their death) Naradevs get reborn among infernal beings and not among animals or humans or divine beings. २२-२. [प्र.] जइ नेरइएसु उववज्जंति.? [उ.] सत्तसु वि पुढवीसु उववज्जंति। २२-२. [प्र.] (भगवन् !) यदि नैरयिकों में उत्पन्न होते हैं (तो वे पहली से लेकर सातवीं नरक पृथ्वी तक में से किस-किस में उत्पन्न होते हैं?) [उ.] (गौतम!) वे सातों ही (नरक-) पृथ्वियों में उत्पन्न होते हैं। 22-2. [Q.] (Bhante!) In which hell (first to seventh) ? [Ans.] (Gautam !) They get reborn in all seven Prithvis (hells). २३-१. [प्र.] धम्मदेवा णं भंते ! अणंतरं. पुच्छा। [उ.] गोयमा ! नो नेरइएसु उववज्जंति, नो तिरि., नो मणु., देवेसु उववज्जंति। २३-१. [प्र.] भगवन्! धर्मदेव आयुष्य पूर्ण कर तुरन्त कहाँ उत्पन्न होते हैं? [उ.] गौतम! वे न तो नैरयिकों में उत्पन्न होते हैं, न तिर्यञ्चों में और न ही मनुष्यों में उत्पन्न के होते हैं, (वे तो केवल) देवों में उत्पन्न होते हैं। 23-1. [Q.] Bhante! Immediately after their death where do Dharmadevs go and get reborn ? Question as aforesaid. [Ans.] Gautam ! (Immediately after their death) Dharmadevs do not 4 get reborn among infernal beings or animals or humans; they only get reborn among divine beings. २३-२. [प्र.] जइ देवेसु उववज्जंति किं भंवणवासि. पुच्छा। [उ.] गोयमा! नो भवणवासिदेवेसु उववज्जंति, नो वाणमंतर., नो जोइसिय., वेमाणियदेवेसु उववज्जंति-सव्वेसु वेमाणिएसु उववज्जंति जाव सव्वट्ठसिद्धअणुत्तरोववाइएसु म जाव उववज्जंति। अत्थेगइया सिझंति जाव अंतं करेंति। २३-२. [प्र.] (भगवन्!) यदि वे देवों में उत्पन्न होते हैं तो क्या भवनवासी देवों में उत्पन्न होते हैं, अथवा वाणव्यन्तर, ज्योतिष्क अथवा वैमानिक देवों में उत्पन्न होते हैं? पूर्ववत् प्रश्न।। [उ.] गौतम! वे न तो भवनवासियों में उत्पन्न होते हैं, न वाणव्यन्तर देवों में और न 卐 ज्योतिष्क देवों में उत्पन्न होते हैं, पर वैमानिक देवों में यानि सभी वैमानिक देवों में उत्पन्न होते हैं। | भगवती सूत्र (४) (398) Bhagavati Sutra (4)
SR No.002493
Book TitleAgam 05 Ang 05 Bhagvati Vyakhya Prajnapati Sutra Part 04 Sthanakvasi
Original Sutra AuthorN/A
AuthorAmarmuni
PublisherPadma Prakashan
Publication Year2013
Total Pages618
LanguageHindi, Prakrit, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari & agam_bhagwati
File Size22 MB
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