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१८. एवं नरदेवा वि, धम्मदेवा वि ।
[१८] इसी प्रकार नरदेव और धर्मदेव के द्वारा ( विकुर्वणा के विषय में भी समझना चाहिए । )
18. The same is true (about transmutation) for Naradevs and Dharmadevs as well.
१९. [ प्र.] देवाहिदेवा णं. पुच्छा ।
[उ. ] गोयमा ! एगत्तं पि पभू विउव्वित्तए, पुहुत्तं पि पभू विउव्वित्तए, नो चेव णं संपत्ती विव्विसुवा, विउव्विति वा, विउव्विसंति वा ।
१९. [प्र.] देवाधिदेव के विषय में पूर्ववत् प्रश्न – (भगवन् ! क्या वे एक रूप अथवा अनेक रूपों की विकुर्वणा करने में समर्थ हैं ? )
[उ.] (हाँ) गौतम! वे एक रूप की विकुर्वणा करने में और अनेक रूपों की विकुर्वणा करने में समर्थ हैं। (परन्तु शक्ति होते हुए भी उत्सुकता के अभाव में) उन्होंने क्रियान्विति रूप में कभी विकुर्वणा नहीं की, करते भी नहीं और करेंगे भी नहीं ।
19. [Q.] Bhante ! Same question about Devadhidev ( is he capable of doing transmutation of one form or many forms)?
[Ans.] Gautam ! He is capable of doing transmutation (vikriya) of one form or many forms. However, (though having the ability, in absence of any curiosity) practically he never did, never does and will never do any transmutation.
[२०] भावदेवा जहा भवियदव्वदेवा ।
[२०] जिस तरह भव्य-द्रव्यदेव (के विकुर्वणा - सामर्थ्य) का कथन किया है, उसी तरह भावदेव (के विकुर्वणा - सामर्थ्य) का कथन करना चाहिए।
20. What has been stated about (ability of transmutation) Bhavya - dravyadev should also be repeated for Bhaavadev.
पंचविध देवों की उद्वर्त्तना- प्ररूपणा
REBIRTH OF FIVE KINDS OF GODS
२१- १. [प्र.] भवियदव्वदेवा णं भंते! अणंतरं उव्वट्टित्ता कहिं गच्छति ? कहिं उववज्जति? किं नेरइएसु उववज्जंति, जाव देवेसु उववज्जति ?
भगवती सूत्र (४)
(396)
Bhagavati Sutra (4)
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