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नवमो उद्देसओ : नौवाँ उद्देशक
देव : देव NAVAM UDDESHAK (NINTH LESSON): DEV (GODS)
भव्यद्रव्यादि पंचविध देवों के स्वरूप का निरूपण DESCRIPTION OF FIVE TYPES OF GODS
१. [प्र. ] कइविहा णं भंते ! देवा पन्नत्ता?
[उ.] गोयमा ! पंचविहा देवा पन्नत्ता, तं जहा-भवियदव्वदेवा १ नरदेवा २ धम्मदेवा ३ देवाहिदेवा ४. भावदेवा ५। . १. [प्र.] भगवन्! देव कितने प्रकार के कहे गए हैं? __ [उ.] गौतम! देव पाँच प्रकार के कहे गए हैं। यथा-(१) भव्य-द्रव्यदेव, (२) नरदेव, है (३) धर्मदेव, (४) देवाधिदेव, (५) भावदेव।
1.[Q.] Bhante ! Of how many types are Devs (gods) said to be ?
[Ans.] Gautam ! Devs (gods) are said to be of five kinds — (1) Bhavyadravyadev, (2) Naradev, (3) Dharmadev, (4) Devadhidev, and (5) Bhaavadev. 5
२. [प्र.] से केणटेणं भंते ! एवं वुच्चइ-'भवियदव्वदेवा, भवियदव्वदेवा'?
[उ.] गोयमा! जे भविए पंचेंदियतिरिक्खजोणिए वा मणुस्से वा देवेसु उववज्जित्तए, से तेणटेणं गोयमा! एवं वुच्चइ-'भवियदव्वदेवा, भवियदव्वदेवा'।
२. [प्र.] भगवन् ! भव्य-द्रव्यदेव, 'भव्य-द्रव्यदेव' किस कारण से कहे गये हैं?
[उ.] गौतम! जो पंचेन्द्रिय तिर्यञ्च योनिक अथवा मनुष्य, देवों में उत्पन्न होने योग्य हैं, ऐसे म भविष्य में उत्पन्न होने वाले भावी देवों को 'हे गौतम' भव्य द्रव्यदेव कहा गया है।
2. (Q.) Bhante ! Why Bhavya-dravyadevs are said to be Bhavyadravyadevs? .
[Ans.] Gautam ! Those among five sensed animals or humans that are capable of being born as divine beings, such to be born future gods, O Gautam, are said to be Bhavya-dravyadevs.
बारहवाँशतक: अष्टम उद्देशक
(381) Twelfth Shatak : Eigth Lesson | 955555555555555555555555555555555558