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दो भव में सिद्ध होने वाले देव यदि सर्प योनि में उत्पन्न होते हैं तो वहाँ पूजित-सत्कारित होते हैं। तत्पश्चात् मनुष्य भव
पाकर मोक्ष को प्राप्त होते हैं।
दो भव में सिद्ध होने वाले देव यदि वृक्ष रूप में उत्पन्न होते हैं तो " वहाँ पूजित अर्चित-सत्कारित होते हैं। तत्पश्चात् मनुष्य भव:
पाकर मोक्ष को प्राप्त होते हैं।
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