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[Ans.] Yes, Gautam ! It has been born earlier many times or infinite times.
२०-२. [प्र. ] सव्वजीवा वि णं भंते ! इमस्स जीवस्स माइत्ताए जाव उववन्नपुव्वा? [उ.] हंता, गोयमा ! जाव अणंतखुत्तो।
२०-२. [प्र.] भगवन् ! क्या सभी जीव, इस जीव के माता के रूप में यावत् पुत्रवधू के रूप में पहले उत्पन्न हो चुके हैं?
[उ.] हाँ गौतम! (सब जीव, इस जीव के माता आदि के रूप में) यावत् अनेक बार अथवा अनन्त बार (पहले उत्पन्न हुए हैं।)
20-2. [Q.] Bhante ! Have all jivas (soul/living being) been born earlier as mother... and so on up to... daughter-in-law of this jiva (soul/ living being)?
[Ans.] Yes, Gautam !... and so on up to... many times or infinite times.
२१-१. [प्र.] अयं णं भंते! जीवे सव्वजीवाणं अरित्ताए वेरियत्ताए घायगत्ताए वहगत्ताए पडिणीयत्ताए पच्चामित्तत्ताए उववन्नपुव्वे?
[उ.] हंता, गोयमा ! जाव अणंतखुत्तो।
२१-१. [प्र.] भगवन् ! क्या यह जीव सब जीवों के शत्रु रूप में, वैरी-रूप में, घातक रूप 5 में, वधक रूप में, प्रत्यनीक रूप में, तथा प्रत्यामित्र (शत्रु-सहायक) रूप में पहले उत्पन्न हुआ
[उ.] हाँ गौतम! अनेक बार अथवा अनन्त बार पहले उत्पन्न हो चुका है।
21-1. [Q.] Bhante ! Has this jiva (soul/living being) been born earlier as enemy, as foe, as molester, as killer, as antagonist and as helper of antagonist of all jivas (souls/living beings)?
[Ans.] Yes, Gautam ! It has been born earlier many times or infinite times.
२१-२. [प्र.] सव्वजीवा वि णं भंते !
[उ.] एवं चेव। ___ २१-२. [प्र.] भगवन् ! क्या सभी जीव (पूर्व सूत्रानुसार शत्रु आदि रूपों में) पहले उत्पन्न हो चुके हैं?
| भगवती सूत्र (४)
__(372)
Bhagavati Sutra (4)
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