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लौटकर शीघ्र अपने घर आया । वहाँ उसने स्नान किया, बलिकर्म ( भेंट- न्योछावर) किया, निवारणार्थ) कौतुक और मंगल रूप प्रायश्चित्त किया । फिर सभी आभूषणों से विभूषित होकर मनोज्ञ स्थालीपाक-विशुद्ध अठारह प्रकार के व्यंजनों से युक्त भोजन किया। इसके उपरान्त महाबल के प्रकरण (श. ११, उ. ११) में वर्णित वासगृह के समान शयनगृह में शृंगारगृह में सुन्दर वेषवाली, यावत् ललितकला युक्त, अनुरक्त, अत्यन्त रागयुक्त और मनोऽनुकूल पत्नी ( भार्या)
के साथ वह इष्ट शब्द रूप, स्पर्शादि यावत् पाँच प्रकार के मनुष्य - सम्बन्धी कामभोग का उपभोग करता हुआ विचरता है।
(विघ्न
[प्र.] गौतम ! वह पुरुष वेदोपशमन ( कामविकार - शान्ति) के समय किस प्रकार के साता-सौख्य का अनुभव करता है ?
[उ.] ( गौतम स्वामी कहते हैं) हे श्रमण भगवन् ! वह पुरुष उदार (सुख का अनुभव करता है। )
[ भगवान कहते हैं- ] गौतम ! उस पुरुष के इन कामभोगों की अपेक्षा वाणव्यन्तर देवों के
कामभोग अनन्त-गुण विशिष्टतर होते हैं। वाणव्यन्तर देवों के कामभोगों से असुरेन्द्र को छोड़कर शेष भवनवासी देवों के कामभोग अनन्त गुण विशिष्टतर होते हैं। असुरेन्द्र को छोड़कर (शेष) भवनवासी देवों के कामभोगों से ( इन्द्रभूत ) असुरकुमार देवों के कामभोग अनन्तगुणविशिष्टतर होते हैं। असुरकुमार देवों के कामभोगों से ग्रहगण, नक्षत्र और तारा रूप ज्योतिष्क देवों के कामभोग अनन्त गुण विशिष्टतर होते हैं । ग्रहगण - नक्षत्र - तारा - रूप ज्योतिष्क देवों के कामभोगों से, ज्योतिष्कों के इन्द्र, ज्योतिष्कों के राजा चन्द्रमा और सूर्य के कामभोग अनन्तगुणं विशिष्टतर होते हैं।
हे गौतम! ज्योतिषियों के इन्द्र, ज्योतिष्कों के राजा चन्द्रमा और सूर्य इस प्रकार के कामभोगों का अनुभव करते हुए विचरते हैं।
हे भगवन् ! यह इसी प्रकार है, हे भगवन् ! यह इसी प्रकार है - ऐसा कहकर भगवान गौतमस्वामी श्रमण भगवान महावीर को ( वन्दना - नमस्कार करके) यावत् विचरण करते हैं।
॥ बारहवाँ शतक : छठा उद्देशक समाप्त ॥
8. [Q.] Bhante ! Experiencing what type of enjoyments king Chandra and king Surya the kings of Jyotishk gods spend their lives?
[Ans.] Gautam! Take for example a strong male gaining his youth newly married to a strong wife gaining her youth migrates (leaving his wife) to other country to earn wealth and remains away for sixteen years. Earning wealth and completing his mission he returns home safe. After that he takes
भगवती सूत्र (४)
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Bhagavati Sutra (4)
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