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85555555555555555555555555555555555555 म राहु देव के नौ नाम कहे गए हैं-(१) शृंगाटक, (२) जटिलक, (३) क्षत्रक, (४) खर, म ॐ (५) दर्दुर, (६) मकर, (७) मत्स्य, (८) कच्छप और (९) कृष्णसर्प।
राहु देव का विमान पाँच वर्णों (रंगों) वाला कहा गया है-(१) काला, (२) नीला, (३) म लाल, (४) पीला और (५) श्वेत। इनमें से राहु का जो काला विमान है, वह खंजन (काजल)
के समान वर्ण वाला है। राहु का जो नीला (हरा) विमान है, वह हरी तुम्बी के समान वर्ण वाला ॥ म है। राहु का जो लोहित (लाल) विमान है, वह मजीठ के समान वर्ण वाला है। राहु का जो पीला है ॐ विमान है, वह हल्दी के समान वर्ण वाला है और राहु का जो शुक्ल (श्वेत) विमान है, वह भस्मराशि (राख के ढेर) के समान वर्ण वाला है।
जब गमनागमन करता हुआ अथवा विकुर्वणा (विक्रिया) करता हुआ अथवा कामक्रीड़ा करता हुआ राहु, पूर्व में स्थित चन्द्रमा के प्रकाश को ढंक कर पश्चिम की ओर जाता है; तब म चन्द्रमा पूर्व में दिखाई देता है और पश्चिम में राहु दिखाई देता है। जब आता हुआ अथवा जाता ॐ हुआ अथवा विक्रिया करता हुआ अथवा कामक्रीडा करता हुआ राहु, चन्द्रमा के प्रकाश को म पश्चिम दिशा में आच्छादित करके पूर्व दिशा की ओर जाता है; तब चन्द्रमा पश्चिम में दिखाई ॐ देता है और राहु पूर्व में दिखाई देता है।
. जिस प्रकार पूर्व और पश्चिम के दो आलापक कहे हैं, उसी प्रकार दक्षिण और उत्तर के दो के आलापक कहने चाहिए।
इसी प्रकार उत्तर-पूर्व (ईशान-कोण) और दक्षिण-पश्चिम (नैऋत्य कोण) के दो आलापक कहने चाहिए तथा इसी प्रकार दक्षिण-पूर्व (आग्नेय कोण) एवं उत्तर-पश्चिम (वायव्य कोण) म के भी दो आलापक कहने चाहिए। इसी प्रकार उत्तर-पश्चिम में चन्द्रमा दिखाई देता है तो राहु : ॐ दक्षिण-पूर्व में दिखाई देता है। भी इसी प्रकार जब आता हुआ अथवा जाता हुआ अथवा विक्रिया करता हुआ अथवा म काम-क्रीड़ा करता हुआ राहु, बार-बार चन्द्रमा के प्रकाश को आवृत करता है, तब मनुष्य लोक में मनुष्य कहते हैं-'राहु ने चन्द्रमा को ग्रस लिया, इस प्रकार राहु ने चन्द्रमा को ग्रस लिया।'
. जब आता हुआ अथवा जाता हुआ, अथवा विक्रिया करता हुआ अथवा काम-क्रीड़ा करता है + हुआ राहु चन्द्र के प्रकाश को आच्छादित करके पास से होकर निकलता है, तब मनुष्य लोक में में मनुष्य कहते हैं-'चन्द्रमा ने राहु की कुक्षि का भेदन कर दिया, इस प्रकार चन्द्रमा ने राहु की ' है कुक्षि का भेदन कर दिया।'
जब आता हुआ अथवा जाता हुआ अथवा विक्रिया करता हुआ अथवा काम-क्रीड़ा करता हुआ राहु, चन्द्रमा के प्रकाश को आवृत करके वापस लौटता है, तब मनुष्य लोक में मनुष्य कहते है हैं-'राह ने चन्द्रमा का वमन कर दिया, इस प्रकार राह ने चन्द्रमा का वमन कर दिया।'
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बारहवाँशतक :छठा उद्देशक
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Twelfth Shatak : Sixth Lesson
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