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________________ छट्ठो उद्देसओ : राहू छठा उद्देशक : राहु द्वारा चन्द्र का ग्रहण (ग्रसन) _SHASHT UDDESHAK (SIXTH LESSON) : RAHU (RAHU) राहुदेव का स्वरूप, उनके विमानों का वर्ण और उनके द्वारा चन्द्र ग्रसन की लोकभ्रान्तियों का निराकरण DESCRIPTION OF GOD RAHU AND HIS VIMAANS १. रायगिहे जाव एवं वयासी[१] राजगृह नगर में यावत् (गौतम स्वामी ने श्रमण भगवान महावीर से) इस प्रकार पूछा 1. (During that period of time Shraman Bhagavan Mahavir arrived in) Rajagriha city... and so on up to... Gautam Swami asked. २. [प्र. ] बहुजणे णं भंते ! अन्नमन्नस्स एवमाइक्खइ जाव एवं परूवेइ-'एवं खलु राहू चंदं गेण्हइ, एवं खलु राहू चंदं गेण्हइ' से कहमेयं भंते ! एवं? म [उ.] गोयमा! जं णं से बहुजणे अन्नमन्नस्स जाव मिच्छं ते एवमाहंसु, अहं पुण गोयमा! एवमाइक्खामि जाव एवं परूवेमि___एवं खलु राहू देवे महिड्ढीए जाव महेसक्खे वरवत्थधरे वरमल्लधरे वरगंधधरे वराभरणधारी। ___राहुस्स णं देवस्स नव नामधेज्जा पन्नत्ता, तं तहा-सिंघाडए १ जडिलए २ खतए ३ ॐ खरए ४ दडुरे ५ मगरे ६ मच्छे ७ कच्छभे ८ कण्हसप्पे ९। राहुस्स णं देवस्स विमाणा पंचवण्णा पण्णत्ता, तं जहा-किण्हा नीला लोहिया हालिद्दा सुक्किला। अत्थि कालए राहुविमाणे खंजणवण्णाभे पन्नत्ते, अत्थि नीलए राहुविमाणे लाउयवण्णाभे पन्नत्ते, अत्थि लोहिए राहुविमाणे मंजिट्ठवण्णाभे पन्नत्ते, अत्थि पीतए म राहुविमाणे हालिद्दवण्णाभे पण्णत्ते, अत्थि सुक्किलए राहुविमाणे भासरासिवण्णाभे पण्णत्ते। जया णं राहू आगच्छमाणे वा गच्छमाणे वा विउव्वमाणे वा परियारेमाणे वा चंदलेस्सं ॐ पुरथिमेणं आवरित्ताणं पच्चत्थिमेणं वीईवयइ तया णं पुरत्थिमेणं चंदे उवदंसेइ, पच्चत्थिमेणं राहू। जया णं राहू आगच्छमाणे वा गच्छमाणे वा विउव्वमाणे वा परियारेमाणे वा की | बारहवाँ शतक : छठा उद्देशक (345) Twelfth Shatak : Sixth Lesson
SR No.002493
Book TitleAgam 05 Ang 05 Bhagvati Vyakhya Prajnapati Sutra Part 04 Sthanakvasi
Original Sutra AuthorN/A
AuthorAmarmuni
PublisherPadma Prakashan
Publication Year2013
Total Pages618
LanguageHindi, Prakrit, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari & agam_bhagwati
File Size22 MB
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